Class 10th Sanskrit Subjective Question

कक्षा 10 संस्कृत पाठ-13. विश्वशान्तिः Subjective Question 2023 || Class 10th Sanskrit Vishwashanti ka Subjective Question Answer Pdf Download

कक्षा 10 संस्कृत पाठ-13. विश्वशान्तिः Subjective Question 2023

1. राष्ट्रसंघ की स्थापना का उद्देश्य स्पष्ट करें।

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उत्तर ⇒ राष्ट्रसंघ की स्थापना का उद्देश्य विश्व में शांति स्थापित करना है।


2. विश्वशांति का सूर्योदय कब होता है?

उत्तर ⇒ जब विभिन्न देश संकट की घड़ी में एक-दूसरे की मदद करते हैं, आपदा के समय सहायता राशि और सामग्रियाँ प्रदान करते हैं, तब विश्वशांति
का सूर्योदय होता है।


3. विद्या व अहिंसा से क्रमशः क्या-क्या प्राप्त होता है ?

उत्तर ⇒ विद्या से परमतृप्ति की प्राप्ति होती है और अहिंसा सभी प्रकार का सुख देनेवाली है।

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4. आज कौन-कौन से आविष्कार विध्वंसक हैं ?

उत्तर ⇒ आजकल अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र, आण्विक अस्त्र, जैविक अस्त्र इत्यादि अनेकों आविष्कार विध्वंसक हैं।


5. असहिष्णुता का कारण-निवारण बताएँ।

उत्तर ⇒ परस्पर द्वेष की भावना असहिष्णुता को जन्म देती है। इससे आपसी वैर उत्पन्न होती है। स्वार्थ वैर को बढ़ाता है और असहिष्णुता का विकृत रूप प्रकट होता है। इसके निवारण का एकमात्र उपाय स्वार्थ का त्याग और परमार्थ या परोपकार की भावना का विकास है।


6. महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति कैसे संभव है ?

उत्तर ⇒ महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति निवैर, करुणा व मैत्री भाव से ही संभव हो सकती है।


7. ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा क्यों आवश्यक है ?

उत्तर ⇒ वर्तमान विश्व में अशान्ति का वातावरण हैं। यह सार्वभौमिक समस्या और दुःख का कारण है। इस अशांति का मूल कारण स्वार्थ प्रेरित अहं की भावना है। इसका निराकरण परोपकार की भावना, निर्वैर, करूणा व मैत्री भाव. से ही संभव है और यह तभी संभव है जब सम्पूर्ण वसुधा को ही कुटुम्ब का परिवार समझा जाय । अतः वर्तमान में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा अत्यन्त आवश्यक है।


8. विश्व अशान्ति का क्या कारण है ? तीन वाक्यों में उत्तर दें।
अथवा, अशांति के मूल कारण क्या हैं ?

उत्तर ⇒ वास्तव में अशांति के दो मूल कारण हैं – द्वेष और असहिष्णुता । एक देश दूसरे देश की उन्नति देख जलते हैं, और इससे असहिष्णुता पैदा होती है। ये दोनों दोष आपसी वैर और अशांति के मूल कारण हैं।


9. ‘विश्वशान्तिः ‘ पाठ के आधार पर उदार-हृदय पुरुष का लक्षण बतावें।

उत्तर ⇒ ‘विश्वशान्तिः ‘ पाठ के अनुसार उदार-हृदय पुरुष का लक्षण है कि वह किसी को पराया नहीं समझता, वरण उसके लिए सारी धरती ही अपनी है।


10. ‘विश्वशान्तिः’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
अथवा,’विश्वशान्तिः’ पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है ? [2014AJ

उत्तर ⇒ विश्वशान्तिः शब्द का शाब्दिक अर्थ विश्व की शान्ति है। आज सर्वत्र ईर्ष्या, द्वेष, असहिष्णुता, अविश्वास, असंतोष आदि जैसे दुर्गुण विद्यमान हैं। ये दुर्गुण जहाँ विद्यमान हों वहाँ की शान्ति की कल्पना कैसे की जा सकती है? शान्ति भारतीय दर्शन का मूल तत्व है। यह शान्ति धर्ममूलक है। धर्मों रक्षति रक्षितः ऐसा प्राचीन संदेश विश्व का अस्तित्व और रक्षा के लिए ही प्रेरित है। इस पाठ का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति, समाज और राष्ट्रों को आपसी द्वेष, असंतोष आदि से दूर कर शान्ति, सहिष्णुता आदि का पाठ पढ़ाना है ।


11. संसार में अशांति कैसे नष्ट हो सकती है ?

उत्तर ⇒ अशांति के मूल कारण हैं-द्वेष और असहिष्णुता । स्वार्थ से यह अशांति बढ़ती है। इस अशांति को वैर से नहीं रोका जा सकता । करुणा और मित्रता से ही वैर नष्ट कर संसार में शांति लाई जा सकती है।


12. वर्तमान में विश्व की स्थिति का वर्णन करें ?

उत्तर ⇒ आज संसार के प्रायः सभी देशों में अशान्ति व्याप्त है। किसी देश में अपनी आन्तरिक समस्याओं के कारण कलह है तो कहीं बाहरी। एक देश के कलह से दूसरे देश खुश होते हैं। कहीं अनेक राज्यों में परस्पर शीत युद्ध चल रहा है। वस्तुतः इस समय संसार अशान्ति के सागर में डूबता-उतराता नजरा आ रहा है। आज विश्व विनाशक शस्त्रास्त्रों के ढेर पर बैठा है।


13. विश्व में शांति कैसे स्थापित हो सकती है?

उत्तर ⇒ विश्व में शांति का आधार एकमात्र परोपकार है । परोपकार की भावना मानवीय गुण है। संकटकाल में सहयोग की भावना रखना ही लक्ष्य हो तभी हम निर्वैर, सहिष्णुता और परोपकार से शांति स्थापित कर सकते हैं।


14. ‘विश्वशांति पाठ के आधार पर भारतीय दर्शन का मूल तत्त्व बतलाएँ।

उत्तर ⇒ भारतीय दर्शन का मूल तत्त्व शांति है । इसमें संदेह नहीं, क्योंकि धर्म का आधार भी शांति ही है । इसी भाव से विश्व की रक्षा तथा कल्याण संभव है, इसलिए हमें जन जागरण द्वारा सहिष्णता, परोपकार और निर्वैर के महत्त्व पर प्रकाश डालना चाहिए।


15. विश्वशांति के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

उत्तर ⇒ केवल उपदेश से विश्व शांति नहीं होगी। हमें उपदेशों के अनुसार आचरण करना होगा। हमलोग जानते हैं कि क्रिया के बिना, अर्थात व्यवहार के बिना, ज्ञान भार-स्वरूप है। वैर कभी भी वैर से शांत नहीं होता । हमें निवर, दया, परोपकार, सहिष्णुता और मित्रता का भाव दसरों के प्रति रखनी हागा, तभी विश्वशांति हो सकती है।


16. विश्वशान्तिः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर ⇒ आज विश्वभर में विभिन्न प्रकार के विवाद छिड़े हुए है। आंतरिक और बाह्य अशांति फैली हुई है। सीमा, नदी-जल, धर्म, दल को लेकर लोग स्वार्थप्रेरित होकर असहिष्णु हो गये हैं। इससे अशाति वातावरण बना हआ है। इस समस्या को उठाकर इसके निवारण के लिए इस पात में वर्तमान स्थिति का निरूपण किया गया है।

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