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विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव Subjective Question Answer 2023 | Class 10th Science (Physics) Vidyut Dhaara Ke Chumbakeey Prabhaav Question Paper pdf Download, NCERT Solutions Bihar Board Matric Exam 2023

1. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है? अथवा, विद्युत मोटर में विभक्त वलय क्यों लगाया जाता है ?

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उत्तर⇒ विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। यह परिपथ में विद्युत-धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करने में सहायता देता है । विद्युत-धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपितं बलों की दिशाएँ भी उत्क्रमित हो जाती हैं। इस प्रकार कुंडली की पहली भुजा जो पहले नीचे की ओर धकेली गयी थी अब ऊपर की तरफ धकेली जाती है तथा कुंडली की दूसरी भुजा जो पहले ऊपर की ओर धकेली गयी अब नीचे की ओर धकेली जाती है। इसलिए कुंडली तथा धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं। प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात् विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है जिसके कारण कुंडली और धुरी का लगातार घूर्णन होता रहता है।


2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?

उत्तर⇒ जब किसी कुण्डली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है।


3. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं ?

उत्तर⇒ चुंबकीय सूई सदा एक ही दिशा की ओर संकेत करती है। यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करें तो इसका अर्थ होगा कि प्रतिच्छेद बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हैं और दिक्सूची ने दो दिशाओं की ओर संकेत किया है जो संभव नहीं है। इसलिए, चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को कभी प्रतिच्छेद नहीं करतीं।

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4. विद्युत-धारा के चुम्बकीय प्रभाव से संबंधित दक्षिण-हस्त अंगठा का नियम लिखें। अथवा, फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लिखें।

उत्तर⇒ फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम- अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हों। चुंबकीय क्षेत्र | यदि तर्जनी चंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर संकेत करती है तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत-धारा की दिशा दर्शाती है।class 10th science


5. फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम लिखिए ।

उत्तर⇒ अपने वामहस्त के अंगूठे, तर्जनी के मध्य अंगुली को इस प्रकार फैलाएँ कि वे परस्पर समकोण बनाएँ। तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्ट करेगी। मध्य अंगुली धारा के प्रवाह की दिशा को बताएगी और अंगूठा चालक की दिशा को प्रभावित करेगा।class 10th science


6. विद्युत धारा क्या है ? विद्युत धारा का SI मात्रक लिखें।

उत्तर⇒ किसी चालक से प्रवाहित विद्युत-धारा की प्रबलता उस चालक के किसी अनुप्रस्थ काट से एकांक समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है। यदि 1 सेकण्ड में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है, तो उस अनुप्रस्थ काट से प्रवाहित धारा का मान 1 ऐम्पियर होता है।

अर्थात् 1A = 1c / 1s विधुत धारा का SI मात्रक है । 


7. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों को लिखें।

उत्तर⇒ चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण इस प्रकार हैं—
(i) ये रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से शुरू होती है और दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं। ये रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं।
(ii) ये रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटती।
(iii) जहाँ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक निकट होती है वहाँ चुंबकीय बल की प्रबलता होती है।


8. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय रेखाएँ खींचिए ।

उत्तर⇒

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9.किसी क्षैतिज संचरण तार (पावर लाइन) में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर विद्युत-धारा प्रवाहित हो रही है, इसके ठीक नीचे के किसी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?

उत्तर⇒ विद्युत-धारा पूरब से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के लागू करने पर हमें तार के नीचे के किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उत्तर से दक्षिण की ओर प्राप्त होती है। तार से ठीक ऊपर के किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर है।


10. विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ? कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत-धारा अधिकतम कब होती है?

उत्तर⇒ वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण किसी अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित करती है। इसे विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है । इसे किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत-धारा या तो उसे किसी चुंबकीय क्षेत्र में गति कराकर अथवा उसके चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र को परिवर्तित करके उत्पन्न कर सकते हैं। चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली को गति प्रदान कराकर प्रेरित विद्युत-धारा उत्पन्न करना अधिक सुविधाजनक होता है । जब कुंडली की गति की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है, तब कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा अधिकतम होती है।


11. विद्युत फ्यूज क्या है, यह किस मिश्रधातु का बना होता है ?

उत्तर⇒ विद्युत फ्यूज (या फ्यूज) बहुत कम गलनांक के पदार्थ का एक छोटा तार होता है जिसे विद्युत-परिपथ में सुरक्षा की दृष्टि से लगाया जाता है। जब अतिभारण अथवा लघुपथन के कारण विद्युत-परिपथ में अधिक प्रबलता की विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है तब फ्यूज गल जाता है (जिसे फ्यूज का उड़ जाना कहते हैं) और विद्युत परिपथ भंग हो जाता है। विद्युत फ्यूज में मिश्रधातु सीसा और टीन की होती है।


12. लघुपथन से आप क्या समझते हैं ? अथवा, किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर⇒ यदि किसी प्रकार धनात्मक तथा ऋणात्मक तार सम्पर्क में आ जाते हैं, तो विद्युत परिपथ में प्रतिरोध लगभग नगण्य हो जाता है और परिपथ में धारा अत्यधिक गर्म हो जाता है और इससे आग भी लग सकती है। इससे होने वाली क्षति से बचने के लिए परिपथ में फ्यूज का प्रयोग अवश्य किया जाता है।


13. धारावाही चालक तार के इर्द-गिर्द चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। उसे दिखाने के लिए ऑस्टैंड के प्रयोग का वर्णन करें।

उत्तर⇒ ऑस्टेंड का प्रयोग : एक तार PQ जिसमें धारा दक्षिण से उत्तर की ओर बह रही हो, मेज पर रखी एक चुम्बकीय सूई के ऊपर रखा। सूई का उत्तरी ध्रुव पश्चिम की ओर घूम जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।

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अब तार में विद्युत-धारा की दिशा बदलकर चुम्बकीय सूई के ऊपर रखा। चुम्बकीय सूई का उत्तरी ध्रुव विपरीत दिशा में अर्थात् पूर्व की ओर विक्षेपित हो जाता है। जैसा कि चित्र से स्पष्ट है। यदि तार को चुम्बकीय सूई के नीचे रखें, तो सूई विपरीत दिशा में विक्षेपित हो जाती है।


14. परिनालिका का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए। अथवा, परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत-धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?

उत्तर⇒ किसी परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर उसके भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। परिनालिका द्वारा इस प्रकार उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र दण्ड चुंबक के क्षेत्र के समान होता है। इस परिनालिका का एक सिरा चुम्बकीय उत्तर ध्रुव की “भाँति तथा दूसरा सिरा चुंबकीय दक्षिण ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है।

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15. प्रयोग द्वारा सिद्ध करें कि विद्युत-धारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।

उत्तर⇒ जब किसी चालक में से विद्युत-धारा गुजारी जाती है तो चालक के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
एक समतल गत्ते का टुकड़ा लें । इस पर एक सफेद कागज लगाकर उसे स्टैंड में क्षैतिज लगाएँ। इसके बीचो-बीच एक तांबे की तार गुजारें । तार की एक सैल E तथा कुंजी K से जोड़कर परिपथ पूरा करें। अब कुंजी J को दबाकर तार XY और उसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की रेखायें । में से विद्युत-धारा गुजारें । तार के पास एक चुंबकीय सूई ले जाएँ। चुंबकीय सूई एक विशेष दिशा में रुकती है। इस प्रकार इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि किसी चालक तार में से विद्युत-धारा गुजारने पर इसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है । जैसे-जैसे तार में प्रवाहित चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धारा के परिमाण में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण में भी वृद्धि होती है।

class 10th scienceकिसी चालक से प्रवाहित की गई विद्युत-धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र चालक से दूर जाने पर घटता है। जैसे-जैसे विद्युत धारावाही सीधे चालक तार से दूर हटते जाते हैं, उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करनेवाले संकेंद्री वृत्तों का साइज बड़ा हो जाता है।


16. विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।

उत्तर⇒ विद्युत जनित का सिद्धान्त विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर आधारित है । जब किसी कुण्डली को तीव्र चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो कुण्डली से संबंधित चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है जिसके फलस्वरूप कुण्डली में प्रेरित धारा प्रवाहित होने लगती है । धारा की दिशा फैराडे के दाहिने हाथ के नियम से ज्ञात की जा सकती है।


17. विद्युत शॉक से क्या अभिप्राय है?

उत्तर⇒ जब हमारे शरीर का कोई अंग बिजली की नंगी तार से छू जाता है, तो हमारे शरीर और पृथ्वी के बीच विभवांतर पैदा हो जाता है, जिससे हमे एक धक्का लगता है। इसे विद्युत शॉक कहते हैं।


18. विद्युत के परिपथ के किसी भाग को सुधारने के लिए रबड़ के दस्ताने प्रयोग किये जाते हैं, क्यों?

उत्तर⇒ विद्युत के परिपथ के किसी भाग को सुधारने के लिए रबड़ के दस्तानों का प्रयोग करने से तथा सूखी लकड़ी पर खड़ा होकर कार्य करने से झटका नहीं लगता क्योंकि रबड़ तथा लकड़ी विद्युत की कुचालक होती है।


19. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

उत्तर⇒ घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए निम्न सावधानी बरतनी चाहिए—
(i) एक ही सॉकेट से बहुत-से विद्युत साधित्रों को संयोजित नहीं करना चाहिए ।
(ii) विद्युत परिपथ में उपयुक्त तारें विद्युतरोधनयुक्त होनी चाहिए।


20. चिकित्साविज्ञान के क्षेत्र में चुंबकत्व का क्या महत्त्व है?

उत्तर⇒ मानव शरीर में अति कमजोर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह शरीर के भीतर चुंबकीय क्षेत्र के विभिन्न भागों के प्रतिबिंब प्राप्त करने का आधार बनता है। इसके लिए चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन [Magnetic Resonance Imaging (MRI)] की सहायता से विशेष प्रतिबिंब लिए जाते हैं तो चिकित्सा विज्ञान के लिए
अति महत्त्वपूर्ण होते हैं।


21. फ्यूज क्यों लगाया जाता है ?

उत्तर⇒ फ्यज—यह सीसे और टिन से बनी मिश्रधातु का कम गलनांक वाला एक पतला तार होता है जो विद्युत परिपथ में शॉर्ट-सर्किट होनेवाली हानि से हमें बचाता है।
लाभ—विद्युत परिपथ में शॉर्ट सर्किट होने पर वह स्वयं पिघल जाता है जिससे तारों तथा विद्युत उपकरणों को कोई हानि नहीं पहुँचती।।
फ्यूज को चीनी मिट्टी के बने एक खोल में रखते हैं। इसको फ्यूज कैरियर कहते हैं।


22. दिष्टधारा मोटर और डायनेमो में क्या अंतर होता है?
उत्तर⇒

दिष्टधारा (DC) मोटर  डायनेमो
दिष्टधारा विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है। दिष्ट धारा डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
विद्युत मोटर में कार्बन ब्रशों पर बैटरी लगाई जाती है। डायनेमो में ब्रशों पर एक बल्ब लगाया जाता है।

23. पृथ्वी एक बड़े चंबक की भाँति व्यवहार क्यों करती है ?

उत्तर⇒ पृथ्वी बहुत बड़े छड़ चुम्बक के रूप में कार्य करती है । इसके चुंबकीय क्षेत्र को तल से 3×104 किमी. ऊँचाई तक अनुभव किया जा सकता है । वास्तव में पृथ्वी के तल के नीचे कोई चुंबक नहीं है।
चुंबकीय क्षेत्र के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं—
(i) पृथ्वी के भीतर पिघली हुई अवस्था में विद्यमान धात्विक द्रव्य निरंतर घूमते हुए इसे बड़े चुंबक की भाँति व्यवहार करता है।
(ii) पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण इसका चुंबकत्व प्रकट होता है।
(iii) पृथ्वी के केंद्र की रचना लोहे और निक्कल से हुई है। पृथ्वी के निरंतर घूमने से इनका चुंबकीय व्यवहार प्रकट होता है।


24.शॉर्ट-सर्किट क्या है ? इससे क्या हानियाँ हो सकती हैं ?

उत्तर⇒ शॉर्ट-सर्किट—किसी विद्युत यंत्र में धारा कम प्रतिरोध से होकर प्रवाह हो जाना शॉर्ट-सर्किट कहलाता है।
हानियाँ—
(i) प्रतिरोध कम होने के कारण तारें अधिक गर्म हो जाती हैं और उनके ऊपर चढ़ा रोधी पदार्थ जल जाता है।
(ii) तारों के ऊपर चढ़े रोधी पदार्थ जल जाने से तारें नंगी हो जाती हैं जिससे विद्युत-शॉक लग सकता है।
(iii) विद्युत उपकरण बेकार हो सकता है।
(iv) इससे घरों, दुकानों आदि में आग लग सकती है।
(v) विद्युत-धारा का प्रवाह रुक जाता है।


25.विद्युत चुंबक के उपयोग लिखिए। इसके कौन-कौन से गुण हैं?

उत्तर⇒ विद्युत चुंबक बहुत उपयोगी होता है।
इसके कुछ प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं—
(i) इसे विद्युत उपकरणों में प्रयुक्त किया जाता है। बिजली की घंटी, पंखों, रेडियो, कंप्यूटरों आदि में इनका प्रयोग किया जाता है।
(ii) विद्युत मोटरों और जनरेटरों के निर्माण में यह प्रयुक्त होते हैं।
(iii) इस्पात की छड़ों को चुंबक बनाने के लिए इनका प्रयोग होता है।
(iv) चुंबकीय पदार्थों को उठाने में इनका प्रयोग होता है।
(v) चट्टानों को तोड़ने में इनका प्रयोग किया जाता है।
(vi) अयस्कों में से चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थों को अलग करने के लिए इनका प्रयोग होता है।


26. किसी विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश के कारण चुंबकीय क्षेत्र कैसा होता है ? उसकी विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर⇒ किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र सदा उससे दूरी के व्युत्क्रम पर निर्भर करता है। इसी प्रकार किसी विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को प्रकट करने वाले संकेंद्री वृत्तों का आकार तार से दूर जाने पर लगातार बड़ा होता जाता है । जब वृत्ताकार पाश के केंद्र पर पहुँचते हैं, इन वृहत वृत्तों के चाप सरल रेखाओं जैसे लगने लगते हैं। विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिंदु से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के केंद्र पर सरल रेखा जैसी लगने लगती हैं । विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिंदु से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रं रेखाएँ पाश के केन्द्र पर सरल रेखा जैसा ही प्रतीत होती हैं। तार का हर हिस्सा चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में योगदान देता है और पाश के भीतर सभी चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक ही दिशा में होती हैं।

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27.चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ? किसी बिंदु पर चंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है ?

उत्तर⇒ चुंबक के आस-पास के क्षेत्र में जहाँ एक चुंबक के आकर्षण और विकर्षण के बल को अनुभव किया जा सकता है उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। वह पथ जिस पर चुंबक का उत्तरी ध्रुव चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त अवस्था में आने पर गति चित्र : लौह-चूर्ण का चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं करेगा उसे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।

class 10th scienceचुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। एक गत्ते पर चुंबक रखें और उस पर लौह-चूर्ण छिड़क कर गत्ते को धीरे-धीरे थपथपाएँ । लौह-चूर्ण अपने आप चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में चित्र के अनुसार व्यवस्थित हो जाएगा। चुंबक को एक कागज पर रखकर चुंबकीय कपास की सहायता से चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींची जा सकती हैं। चुंबकीय सूई की चुंबक के उत्तरी ध्रुव के निकट रखकर दोनों सिरों को पैंसिल की सहायता से चिह्नित करें। चुंबकीय सूई को दक्षिण दिशा की ओर चिन्हों के अनुसार बढ़ाते जाएँ । पैंसिल से इन बिंदुओं को मिलाएँ। चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की प्राप्ति रेखांकन के अनुसार हो जाएगी।
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा चुंबकीय सूई की सहायता से प्राप्त होती है । जिस दिशा में उत्तरी ध्रुव का निर्देश प्राप्त होता है वहीं चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा होती है।

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28. विद्युत फ्यूज का कार्य स्पष्ट करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।

उत्तर⇒ विद्युत परिपथ सुरक्षा के लिए फ्यूज का प्रयोग बहुत आवश्यक है क्योंकि शॉर्ट सर्किट होने की अवस्था में इसमें लगी तार पिघल जाती है और विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है जिससे आग लगने का भय कम हो जाता है।
किसी विद्युत परिपथ में कम प्रतिरोध से होकर धारा के प्रवाहित हो जाने को शॉर्ट सर्किट कहते हैं। विद्युत ऊर्जा के चालक तार पुराने होने या उनका रोधी पदार्थ निकल जाने पर दो तारों को छू जाने से शॉर्ट-सर्किट हो जाता है।

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फ्यूज से सुरक्षा—एक बैटरी तथा बल्ब को चित्र के अनुसार जोड़े। धारा प्रवाहित होने पर बल्ब जल जाएगा। अब बल्ब से कुछ ऊपर संपर्क तारों पर रोधी पदार्थ को छीलकर निकाल दें। बल्ब जलता रहेगा। अब इन तारों के खुले भाग को मिला दीजिए । बल्ब जलना बंद हो जाएगा । इस अवस्था में बल्ब में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती बल्कि सारी धारा सीधी तारों से होकर चली जाती है। संपर्क तारों का प्रतिरोध कम होने के कारण धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है और तार शीघ्र गर्म हो जाते हैं। किसी विद्युत यंत्र में इस प्रकार कम प्रतिरोधी से होकर धारा में प्रवाहित हो जाने को शॉर्ट-सर्किट कहते हैं । फ्यूज लगे होने पर इसकी तार पिघल जाती है और आग लगने का भय कम हो जाता है।


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