कक्षा 10 संस्कृत पाठ-4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः Subjective Question 2023 |
1. आधुनिक काल की किन्हीं तीन संस्कत लेखिकाओं के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ आधुनिक काल की तीन लेखिकाओं के नाम हैं-पुष्पा दीक्षित, वर्णमाला भवालकर और मिथिलेश कुमारी मिश्र ।
2. विजयाङ्का कौन थी और उनका समयं क्या माना जाता है ?
उत्तर ⇒ विजयाङ्का लौकिक संस्कृतसाहित्य की लेखिका थी। इसका समय चालुक्यवंशीय शासन, अर्थात् 8वीं सदी माना जाता है।
3. विजयाङ्का को ‘सर्वशुक्लासरस्वती’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर ⇒ लौकिक संस्कृत साहित्य में विजयाङ्का का योगदान अभूतपूर्व है। सर्वशुक्लासरस्वती विजयाङ्का को कहा गया है। विजयात्रा की असाधारण पराकाष्ठा से प्रभावित होकर दण्डी ने सर्वशुक्लासरस्वती कहा है। पदों की . सौष्ठवता देखने लायक है। विजयाका श्याम वर्ण की थी, परन्तु उसकी कृतियाँ शुक्ल, अर्थात् ज्योतिर्मय थी। विजयाङ्का अपनी रचना में लेखन कला के द्वारा आभा बिखेरती प्रतीत होती है।
4. तिरुमलाम्बा किसकी रानी थी और उसने किस प्रकार के काव्य की रचना की थी ?
उत्तर ⇒ तिरुमलाम्बा अच्युत राय की पत्नी थी। उसने ‘वरदाम्बिका परिणय’ नामक चम्पूकाव्य की रचना की। उसमें संस्कृत गद्य की समस्त पदावलियां
ललित पद विन्यास से सुंदर हैं।
5. उपनिषद् में नारियों के योगदान का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ वृहदारण्यकोपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी की दार्शनिक रुचि’ का वर्णन है। जनक की सभा में गार्गी प्रसिद्ध थी।
6. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ संस्कृत साहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। शंकरचरितम् उनकी अनुपम रचना है। गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, ग्रामज्योति आदि रचनाएँ की हैं।
7. संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ वैदिक काल से महिलाओं ने संस्कृत साहित्य की रचना एवं संरक्षण में काफी योगदान दिया है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी मंत्रों की दर्शिकाएँ थीं। गङ्गादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका आदि दक्षिण की महिलाओं ने भी साहित्य की रचना में योगदान दिया है। पंडिता क्षमारांव, पुष्पा दीक्षित, वनमाला मवालकर आदि जैसी अनेक आधुनिक महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया है। इस प्रकार, भारत में हमेशा संस्कृत साहित्य में महिलाओं का योगदान रहा है।
8. विजयनगर राज्य में संस्कृत भाषा की क्या स्थिति थी ? तीन वाक्यों में उत्तर दें।
उत्तर ⇒ विजयनगर में सम्राट् संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए किए गए प्रयास सर्वविदित है। उनके अंत:पुर में भी संस्कृत रचना में निष्णात रानियाँ थीं। महारानी विजयभट्टारिका ने ‘विजयाका’ की रचना की।
9. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं ?
उत्तर ⇒ ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है । दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया।
10. शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में वैदिककालीन महिलाओं के योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ वैदिककाल में शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में पुरुषों की तरह महिलाओं ने भी काफी योगदान दिया है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी वैदिककालीन ऋषिकाएँ भी मंत्रों की दर्शिकाएँ थीं।
11. संस्कृतसाहित्य में दक्षिण भारतीय महिलाओं के योगदानों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ चालुक्य वंश की महारानी विजयभट्टारिका ने विजयाङ्का की रचना कर लौकिक संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। लगभग चालीस दक्षिण भारतीय महिलाओं ने एक सौ पचास संस्कृत-काव्यों की रचना की है। इन महिलाओं में गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा आदि प्रमुख हैं। इनकी रचनाएँ पद्य में हैं।
12. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर ⇒ इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं। संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के उन्नयन एवं पल्लवन में पुरुषों के समतुल्य महिलाएँ भी चलती रही हैं।
13. संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय के लेखिकाओं के योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषदयात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमानकाल में लेखनरत कवत्रियों में पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन संस्कृतसाहित्य को समृद्ध कर रहीं हैं।