Wed. Oct 4th, 2023
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1. नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं ? दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखें।

उत्तर⇒ नाभिकीय अभिक्रियाओं, अर्थात् नाभिकीय विखण्डन तथा नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।
दो ऊर्जा स्रोतों के नाम निम्नलिखित हैं-(i) सूर्य और (ii) कोयला।


2. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?

उत्तर⇒ पृथ्वी में कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा यूरेनियम जैसे ईंधनों के ज्ञात भण्डार बहुत ही सीमित हैं। यदि इसी दर से उनका उपयोग होता रहा तो वे शीघ्र समाप्त हो जायेंगे। इसीलिए हम ऊर्जा संकट से निबटने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।


3. जीवाश्मी ईंधन किसे कहते हैं ? जीवाश्मी ईंधन की क्या-क्या हानियाँ हैं ?

उत्तर⇒ वह दहनशील पदार्थ जो पेड़-पौधे तथा जानवरों के अवशेष से प्राप्त, जो लाखों वर्ष पूर्व पृथ्वी की गहराई में दब गए थे से प्राप्त होता है, जीवाश्मी ईंधन कहलाता है। जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस ।
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ—
(i) जलने से पर्यावरण प्रदूषित होता है।
(ii) जलने से CO2निकलता है जिससे ग्रीन हाउस पर प्रभाव पड़ता है।
(iii) जलने से उत्पन्न अवयवों से अम्लीय वर्षा होती है। जबकि असमाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं।


4. नाभिकीय संलयन से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण दें।

उत्तर⇒ नाभिकीय संलयन में अति उच्च ताप पर दो हल्के नाभिक एक भारी नाभिक बनाने के लिए संयोग करते हैं और साथ में विशाल ऊर्जा निर्मुक्त होती है। संलयन के लिए नाभिकों को अति उच्च वेग के साथ एक-दसरे के पास पहँचना चाहिए ताकि वे विद्युत प्रतिकर्षण को जीत सके और करीब 10-15 मीटर के भीतर आ पाएँ । जैसे-2H+2H→ 3He (+n)।


5. जीवाश्म ईंधन किस प्रकार बने थे?

उत्तर⇒ जीवाश्म ईंधन उन पेड़-पौधों के अवशेषों तथा जंतु अवशेषों से बने हैं जो करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह के नीचे गहरे दबे हुए थे। पृथ्वी के अन्दर दबकर तलछट से ढंक जाने के कारण इन जीव-अवशेषों को वायु की ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाती थी। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति तथा दाब, ताप और बैक्टीरिया के मिले-जुले प्रभाव से पेड़-पौधों तथा जंतुओं के दबे हुए अवशेष, कोयले, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों में परिवर्तित हो गये।


6. आदर्श ईंधन क्या है ? इनकी विशेषताएँ लिखें।

उत्तर⇒ जिस ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक हो तथा धुआँरहित हो। उसे आदर्श ईंधन कहते हैं।
आदर्श ईंधन की निम्नांकित विशेषताएँ हैं—
(i) जिसका ऊष्मीय मान ज्यादा हो।
(ii) जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो ।
(iii) जिससे ऊष्मा की प्राप्ति अधिक हो।
(iv) जो जलने में सुगम हो ।


7. नाभिकीय विखंडन क्या है ? इसका कोई एक उचित उदाहरण दें।

उत्तर⇒ नाभिकीय विखंडन वह प्रक्रम है जिसमें यूरेनियम-235 जैसे भारी परमाणु का अस्थायी नाभिक टूटकर मध्यम भार वाले दो नाभिक बना देता है तथा ऊर्जा की अति विशाल मात्रा उत्पन्न करता है।
जब यूरेनियम-235 परमाणुओं पर धीमी गति वाले न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो यूरेनियम का भारी नाभिक टूटकर दो मध्यम भार वाले परमाणु, बेरियम-139 तथा क्रिप्टॉन-94 बना देता है तथा तीन न्यूट्रॉन भी निकलते हैं। यूरेनियम-235 के विखण्डन के दौरान अति विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।

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8. अच्छा ईंधन क्या है?

उत्तर⇒ अच्छा ईंधन वह है—
(i) जिसका ऊष्मीय मान उच्च हो ।
(ii) जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो।
(iii) जिससे प्रज्जवलन ताप की प्राप्ति हो।
(iv) जलने में अल्प धुआँ और अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता हो।


9. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?

उत्तर⇒ भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तपे हुए स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती है और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है । पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्यत जनित्रों के द्वारा विद्यत उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।


10. ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।

उत्तर⇒

  जीवाश्म ईंधन ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य
(i) 
जीवाश्म ईंधन अनवीकरणीय है। ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य नवीकरणीय है।
(ii) 
यह भविष्य में समाप्त हो जाएँगें। यह भविष्य में समाप्त न होने वाला स्रोत है।
(iii) 
इससे प्रदूषण फैलता है। इससे प्रदूषण नहीं फैलता है।
(iv) 
कोयला संयंत्र लगाने की लागत बहुत अधिक नहीं है। सौर शक्ति संयंत्र लगाने की लागत बहुत अधिक है।
(v) 
ऊर्जा सारे साल उत्पन्न की जा सकती है। यह संयंत्र रात में, बादलों वाले दिन में तथा वर्षा वाले दिनों में कार्य नहीं कर पाते।

11. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?

उत्तर⇒ (a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय सोत—
(i) नवीकरणीय स्रोत—ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
(ii)अनवीकरणीय सोत—ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुनः उपयोग में नहीं ला जा सकता । जीवाश्मी ईंधन, कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।
(b) समाप्य तथा असमाप्य—ऊर्जा के समाप्य स्रोत नवीकरणीय है जबकि असमाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं।


12. बायो-गैस (bio-gas) के संघटन में कौन-कौन-से गैस हैं ?

उत्तर⇒ बायो-गैस या जैव गैस मुख्यतः मेथेन (CH4), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), हाइड्रोजन (H2), तथा हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) का मिश्रण है। इसमें 65% मिथेन होती है, जिस कारण यह उत्तम ईंधन का कार्य करता है ।


13. जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की जा कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।

उत्तर⇒

  ऊर्जा स्रोत के रूप में जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत
(i) 
अजा स्रोत के रूप में जैवमात्रा नवीकरणीय स्रोत है। ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैटाल नवीकरणीय स्रोत है।
(ii)
 ऊजो स्रोत के रूप में जैवमात्रा उत्पन्न करने के लिए संयंत्र सब जगह लगाए जा सकते हैं। यह जा संयंत्र दूर दराज के गाँवों जहाँ जल का स्रोत नहीं है वहाँ भी लगाए जा सकते हैं। ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत प्राप्त करने के लिए संयंत्र केवल उन जगहों पर लगाए जा सकते हैं।जहाँ नदियों पर बाँध बन सकें।
(iii)
 अपशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा करना मुश्किल एवं महँगी प्रक्रिया है। एक बार संयंत्र के शुरू होने के बाद जल को इकट्ठा पैदा करना मुश्किल कार्य नहीं है।
(iv)
 यह ग्रीन-हाउस गैसें उत्पन्न करता है। यह ग्रीन-हाउस गैसें उत्पन्न नहीं करता है।

14. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य योग्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।

उत्तर⇒ कोयला और पेट्रोलियम ऐसे ऊर्जा स्रोत है जिन्हें समाप्य योग्य माना जाता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 200 वर्ष तक ये पृथ्वी से समाप्त हो जाएंगे जबकि इनके निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं।


15. ऊर्जा का उत्तम स्त्रोत किसे कहते हैं ?

उत्तर⇒ ऊर्जा का उत्तम स्रोत उसे कहते हैं जिसमें निम्नांकित विशेषताएँ हों —
(i) वह उचित मात्रा में आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके ।
(ii) इसे प्रयोग करना आसान होना चाहिए ।
(iii) इसका परिवहन करना आसान होना चाहिए।
(iv) इसका भंडारण आसान होना चाहिए ।
(v) यह लंबे समय तक हमें नियमित रूप से आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके।


16. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?

उत्तर⇒ ऊर्जा के आदर्श स्रोत के गुण होते हैं—
(i) पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
(ii) सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से सम्पन्न होनी चाहिए ।
(iii) समान दर से ऊर्जा उत्पन्न की उत्पत्ति होनी चाहिए।
(iv) सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
(v) परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।


17. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है?

उत्तर⇒ नाभिकीय ऊर्जा भारी नाभिकीय परमाणु (यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता बै जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है । यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अत: नाभिकीय विखंडन से अपार ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अनेक विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।


18. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।

उत्तर⇒ ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या-वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। कर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पडेगा।। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती । उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएँ आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन की कैलोरीमान अधिक हो । उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो । स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।


19. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या-क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?

उत्तर⇒ सौर कुकर के लाभ —
(i) ईंधन का कोई खर्च नहीं होता है।
(ii) पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है।
(iii) किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती है।
सौर कुकर की हानियाँ—
(i) बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता ।
(ii) रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
(iii) बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
(iv) यह 100°C-140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।
ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों का सीमित प्रयोग किया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में आकाश प्रायः बादलों से घिरा रहता है वहाँ इनकी सीमित उपयोगिता है ।


20. पवन ऊर्जा क्या है ? पवन चक्की से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए?

उत्तर⇒ पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक पर्यावरणीय हितैषी एवं दक्ष स्रोत है। इसमें टरबाईन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल कम से कम 15 किमी/घंटा से अधिक होना चाहिए ।


क्लास 10th विज्ञान ऊर्जा के स्रोत का सब्जेक्टिव उत्तर 2022

21. ईंधन किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए। .

उत्तर⇒ जिन पदार्थों को जलाकर ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, उन्हें ईंधन कहते हैं। ईंधन ठोस, तरल तथा गैस तीनों अवस्थाओं में उपलब्ध होते हैं। जैसे कोयला, लकड़ी, कोक तथा चारकोल ठोस ईंधन हैं; पेट्रोल, डीजल तथा किरोसीन तरल ईंधन हैं तथा प्राकृतिक गैस और बायोगैस आदि गैस ईंधन हैं।


22. प्राकृतिक गैस क्या है? इसका प्रमुख लाभ क्या है ? भारत में यह कहाँ-कहाँ पर पाई जाती है?

उत्तर⇒ प्राकृतिक गैस मुख्य रूप से मिथेन (CH4) होती है । इसका प्रमुख लाभ यह है कि इसे घर तथा उद्योगों में सीधा जलाने के लिए उपयोग किया जाता है। भारत में त्रिपुरा, जैसलमोर तथा मुम्बई के अपतट आदि स्थानों पर इसके भंडार हैं। कृष्णा तथा गोदावरी के डेल्टा में भी इसकी उपस्थिति का पता चला है ।


23. OTEC क्या है ? इसका पूरा नाम लिखें तथा बताएँ इसका उपयोग कहाँ किया जाता है?

उत्तर⇒ OTEC सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण के लिए एक संयंत्र है। इसका पूरा नाम Ocean Thermal Energy Conversion Plant है। इस यंत्र का उपयोग महासागरीय तापीय उर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में कर जनित्र के टरबाइन को चलाने में किया जाता है । इस संयंत्र को तब प्रचालित किया जा सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि०मी. तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो।


24. ईंधनों का वर्गीकरण उनकी अवस्था के अनुसार किस-किस में किया जा सकता है ? उदाहरण देकर लिखिए।

उत्तर⇒ भौतिक अवस्था के अनुसार ईंधनों का वर्गीकरण तीन अवस्थाओं ठोस, तरल तथा गैस में किया गया है।
ठोस ईंधन—कोयला, कोक, चारकोल, लकड़ी।
द्रव इंधन—डीजल, पेट्रोल, किरोसीन ।
गैस ईंधन—प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम गैस, कोल गैस, बायोगैस ।


25. सूर्य को ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत क्यों माना जाता है ?

उत्तर⇒ सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर हवा चलती है तथा जल चक्र चलता उ है। पेड़-पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन तैयार करते हैं। इसी भोजन पर ही समस्त मानव जाति तथा जंतुओं का जीवन निर्भर करता है। अन्य ऊर्जाओं का मूल स्रोत भी सूर्य ही है। यदि सूर्य न होता तो किसी प्रकार की ऊर्जा भी न होती। यह कहना पूर्ण रूप से सही है कि ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत सूर्य है।


26. पवन किसे कहते हैं ? पवन किस प्रकार चलती है ?

उत्तर⇒ पवन-गतिशील वायु को पवन कहते हैं।
पवन का चलना—ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में सौर प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है। परिणामस्वरूप भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के निकट की वायु शीघ्र ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है । इस खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की अपेक्षाकृत ठंडी वायु भूमध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर प्रवाह करने लगती है और निरंतर हवा चलने लगती है । वायु के इस प्रवाह में पृथ्वी के घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों के कारण लगातार बाधा पड़ती रहती है।


27. LPG को अच्छा ईंधन क्यों समझा जाता है ?

उत्तर⇒ LPG को अच्छा ईंधन इसलिए समझा जाता है, क्योंकि-
(i) LPG का अधिक कैलोरीमान (46 KJ/g) है।
(ii) यह गैस धुआं रहित ज्वाला के साथ जलती है क्योंकि इसमें कोई विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती है अर्थात् इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
(iii) LPG के दहन के उपरांत कुछ अवशेष नहीं रहता है। अतः वह एक स्वच्छ घरेलू ईंधन है।
(iv) यह ऊष्मा उत्पन्न करने का काम खर्च वाला साधन है।


28. सौर सैलों के विभिन्न उपयोग बताएँ।

उत्तर⇒ सौर सैलों के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं—
(i) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यान मुख्य रूप से सौर पैनलों द्वारा उत्पादित विद्युत पर निर्भर करते हैं।
(ii) भारत में इन सैलों का उपयोग प्रकाश व्यवस्था, जल पंपों, रेडियो तथादूरदर्शन कार्यों के लिए किया जाता है।
(iii) सौर सैलों के उपयोग लाइट हाऊस तथा तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने के रिग को विद्युत ऊर्जा प्रदान करने में किया जाता है ।


29. बायोगैस क्या है ? इसके अवयवों के नाम लिखें तथा इसके दो उपयोग बताएँ।

उत्तर⇒ बायोगैस—यह मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड का मिश्रण है। इसका मुख्य अवयव मिथेन है जो कि एक उत्तम ईंधन है।
बायोगैस के उपयोग—
(i) यह खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयुक्त होती है।
(ii) यह इंजन चलाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग की जाती है।
(iii) यह सड़क की रोशनी के लिए भी प्रयोग की जाती है।


30. अनवीकरणीय तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत में कोई दो अंतर लिखें।

उत्तर⇒

अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
ऊर्जा के वे स्रोत जो समाप्त होने वाले हैं तथा जिनकी प्रकृति में उत्पत्ति हजारों वर्ष बाद होती है अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। ऊर्जा के वे स्रोत जो अपरिमित हैं तथा जिन्हें प्रकृति निरंतर प्रदान कर रही है, नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं।
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वायुमंडल को प्रदूषित नहीं करते हैं।

31. स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उत्तर⇒ जो ऊर्जा वस्तु में उसकी स्थिति के कारण या आकार के कारण उपस्थित होती है उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। स्थितिज ऊर्जा =mgh [m = संहति (Mass), g= गुरुत्व (gravity), h = ऊँचाई (height)]
उदाहरण —
(i) पानी को टंकी में एकत्रित करने से उसमें स्थितिज ऊर्जा इकट्ठी होती है ।
(ii) खींचे हुए कमान के तीर में स्थितिज ऊर्जा होती है जो छोड़ने पर गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।
(iii) घड़ी में चाबी भरने से स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा आ जाती है जो गतिज ऊर्जा में बदल कर घड़ी को चलाए रखती है।


32. गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं ? इसके उदाहरण लिखिए।

उत्तर⇒ जो ऊर्जा किसी वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन्न हो उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं । गतिशील वस्तु में कार्य करने की क्षमता उसकी गति के कारण होती है।
गतिज ऊर्जा = 1/2mv2, जहाँ m = संहति (mass), y= वेग (velocity)
उदाहरण—
(i) पाल नाव वायु की गतिज ऊर्जा के द्वारा ही चलती है।
(ii) गतिशील पानी की गतिज ऊर्जा से पन-चक्कियाँ चलाई जाती हैं तथा पवन की गतिज ऊर्जा से पवन चक्कियाँ।
(iii)  बहते पानी की गतिज ऊर्जा से पन-चक्कियाँ चलाई जाती हैं तथा पवन की गतिज ऊर्जा से पवन चक्कियाँ ।
(iv) बंदूक से निकली गोली में ऊर्जा उसकी गति के कारण होती है।


33. सौर जल-ऊष्मक का संक्षिप्त वर्णन करें।

उत्तर⇒ सौर ऊष्मक युक्ति को कुछ परिवर्तनों के पश्चात् सौर जल-ऊष्मक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है इसके लिए काली पट्टी को तांबे की ट्यूब द्वारा बदला जा सकता है। इसको बाहरी ओर से काला कर दिया जाता है। इस ट्यूब का एक सिरा जल स्रोत से जुड़ा होता है तथा दूसरा सिरा गर्म जल प्राप्त करने के लिए किसी नल से जुड़ा रहता है जहाँ से गर्म जल प्राप्त होता है ।

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34. जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए।

उत्तर⇒ जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के दो कारण हैं —
(i) गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात् अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
(ii) गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआँ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वाय प्रदूषित नहीं होती।


35. सौर सैल पैनल की बनावट और कार्य-विधि समझाइए।

उत्तर⇒ सौर सैल पैनल अर्द्धचालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है।
बनावट—सौर सैल पैनल और सौर सैलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सैलों के विशेष क्रम में व्यवस्थित करके सौर सैल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहाँ पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो । पैनल की दिशा को बदलने की व्यवस्था भी की जाती है।
कार्यविधि—सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्द्धचालकों की सहायता से बनाये गए सौर सैलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पडती है तो अर्द्धचालक के दो सार सल पाल भागों में विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिससे चार वर्ग सेमी० के एक सौर सैल के द्वारा 60 मिली ऐम्पियर धारा लगभग 0.4-0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सैलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।

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उपयोग—
(i) सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
(ii) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत का प्रबंध किया जाता है।


36. नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन में भेद करें।

उत्तर⇒

नाभिकीय संलय नाभिकीय विखंडन
इस अभिक्रिया में दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं। इसमें भारी नाभिक दो हल्के नाभिकों में विखंडित होता है।
ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न होती है। नाभिकीय संयलन की तुलना में ऊर्जा कम मात्रा में उत्पन्न होती है।
यह अभिक्रिया बहुत उच्च ताप पर होती है। यह अभिक्रिया सामान्य ताप पर हो सकती है।

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