1. मानव मस्तिष्क का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए ।
2. एक तंत्रिका कोशिका न्यूरॉन की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर⇒
चित्र : तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)
न्यूरॉन के कार्य हमारे पर्यावरण से सभी सूचनाओं का पता कुछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सीधे द्वारा लगाया जाता है यह ग्राही प्रायः हमारी ज्ञान इंद्रियों में स्थित होते हैं । यह सूचना तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है तथा एक रासायनिक क्रिया द्वारा एक विद्युत आवेग उत्पन्न करती है । यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय तक जाता है और तंत्रिका कोशिका में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुंचता है । एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन कराता है ये रसायन सिनेप्टिक दरार को पार करते हैं तथा अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी प्रकार का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं । एक प्रकार से सूचनाओं को तंत्रिका ग्रंथि तक ले जाती है ।
3.प्रतिवर्ती क्रिया को उपर्युक्त उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए ।
उत्तर⇒ बाह्य परिवर्तनों अर्थात उद्दीपनो के प्रति प्राणियों की प्रक्रियाएं दो प्रकार की होती है ऐच्छिक एवं अनैच्छिक । अनैच्छिक क्रियाएं प्राणी की चेतना शक्ति के अधीन नहीं होती है यह दो प्रकार की होती है स्वायत एवं स्वतंत्र तथा प्रतिवर्ती ।
चित्र : प्रतिवर्ती चाप
प्रतिवर्ती क्रियाएं दैहिक होती है अर्थात रेखित पेशियों एवं ग्रंथियों से संबंधित होती है । इस क्रिया में मेरुरज्जु भाग लेती है । यदि शरीर के किसी भाग में सुई चुभ जाए तो शरीर को सभा को वहां से हटा लेता है । प्रत्येक स्पाइनल तंत्रिका दो मूल होते हैं- संवेदी तंतुओं से बना पृष्ठ मूल तथा चालक तंतुओं से बना अध् रमूल । त्वचा पर पिन चुभाने का उदीपन इसमें उपस्थित संवेदांग को उत्तेजित करता है और वे संबंधित कर देते हैं और वे इस संवेदना को संबंधित सोमेटिक संवेदी तंतुओं के डैंड्राप्स में प्रसारित कर देते हैं । ये तंतु इस संवेदी प्रेरणा को पास की स्टाइनल अब तंत्रिका के पृष्ठ मूल के पृष्ठ गुच्छक में उपस्थित न्यूरॉन्स कोशिकाओं में ले जाते हैं । इन कोशिकाओं में एक्सॉन् फिर इस प्रेरणा को मेरुरज्जु के धूसर द्रव्य तक ले जाते हैं । यहां एक एक्सॉन् की अंतिम बटनो से ये प्रेरणा निकट कि चालक तंत्रिकाओं के डैंड्राइट्स में जाती है । यहां संवेदी प्रेरणा चालक प्रेरणा बन जाती है । चालक कोशिकाओं में एक्सॉन् अधर मूल्य के तंतु होते हैं । वे इस प्रेरणा को पादो तक ले जाती है पेशियां सिकुड़ती है जो कि पौधों को गति प्रदान करती है । संवेदगो से लेकर अपवाहक अंग तक के पूरे प्रेरणा पथ को परिवर्तित चाप करते हैं ।
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4. मेरुरज्जु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
उत्तर⇒ मेडुला आब्लॉगेटा खोपड़ी के महारन्ध्र निकलकर रीड की हड्डी की कशेरुकाओं के बीच से निकलकर नीचे तक फैली रहती है इसी को मेरुरज्जु या रीढ़ रज्जू कहते हैं। इसके ऊपर डयूरामेंटर, एरेक्रोएड, और पियो में नामक तीन झिलिया उसी प्रकार होती है। जैसी मस्तिष्क में ऊपर होती है । मेरुरज्जु से निश्चित दूरियों पर 31 जोड़े मेरु तंत्रिकाएँ निकलती है इसकी लंबाई लगभग 45 सेमी होती है ।
चित्र: मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु
मेरुरज्जु के कार्य-
(i) यह साधारण प्रतिवर्ती क्रियाओं जैसे घुटने के झटके का प्रत्युत्तर संचालित प्रतिक्रियाएं जैसे मूत्राशय का सिकुड़ना आदि के समन्वय केंद्र का कार्य करती है ।
(ii) यह मस्तिष्क और सुषुम्ना के मध्य संचार का कार्य करती है।
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5. मानव शरीर में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम, और उनके स्रावित हार्मोन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर⇒
क्रम | ग्रंथि का नाम | हार्मोन्स | कार्य |
1. | थायराइड | थायरोक्सिन | उपापचय तक वृद्धि की दर नियमित करता है इस हार्मोन की कमी होने से मोटापा बढ़ता है और शरीर में शिथिलता आ जाती है अधिकता से शरीर अतिसक्रिय हो जाता है तथा भार गिर जाता है । |
2. | अग्नाशय | इंसुलिन | शक्कर के उपापचय को नियमित करता है इसकी कमी से रुधिर में शक्कर का स्तर बढ़ जाता है और कमजोरी आती है ऐसी परिस्थिति को मधुमेह कहते हैं । |
3. | अधिवृक्क | कॉर्टिसोन | इस ग्रंथि का बाहरी भाग कोर्टेक्स रस उत्पन्न करता है । यह प्रोटीन को शक्कर में बदलने में सहायता करता है पीयूष ग्रंथि कोर्टेक्स को उत्तेजित करती है । |
4. | पीयूष ग्रंथि (मास्टर ग्रंथि) | वृद्धि हार्मोन एंटीड्यूरेटिक हार्मोन (ADH) ACTH FSH TSH |
हड्डी तथा उतको की वृद्धि को नियमित करता है।वृक द्वारा पुनः अवशोषित पानी की मात्रा को नियंत्रित करता हैकॉर्टिसोन बनाने के लिए अधिवृक्क कोर्टेक्स को उत्तेजित करता है । एस्ट्रोजन बनाने के लिए अंडाशय को उत्तेजित करता है ।थायरोक्सिन बनाने के लिए थायराइड को उत्तेजित करता है। |
5. | अंडाशय | एस्ट्रोजन | बहुत-से कार्य तथा गुण, जैसे वृक्ष का विकास करना है। |
6. | वृषण | टेस्टोस्टेरोन | पुरुष के बहुत से गुण, जैसे मुछ तथा दाढ़ी में वृद्धि करना । |
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6. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रातन की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर⇒ जब वृद्धि करता पादप प्रकाश को सूचित करता है तब ऑक्सिन नामक पादप हार्मोन प्ररोह के अग्रभाग में संश्लेषित होता है तथा कोशिका की लंबाई में वृद्धि करता है जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा होता है तब ऑक्सिन विसरित होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है । प्ररोह की प्रकाश से दूर वाली दिशा में ऑक्सिन का सांद्रण कोशिकाओं को लंबाई में पढ़ने के लिए उदीपित करता है और वह प्रतान की सहायता से किसी दूसरे पादप या बाड़ के ऊपर चढ़ता है यह प्रतान स्पर्श के लिए संवेदनशील है जब ये किसी आधार के संपर्क में आते हैं तो प्रतान का वह भाग तेजी से वृद्धि करता है जो वस्तु से दूर रहता है और वह वस्तु के चारों ओर से जकड़ लेता है ।
चित्र : प्रतान की स्पर्श के लिए संवेदनशीलता
क्लास 10th नियंत्रण एवं समन्वय सब्जेक्टिव
7. प्रतिवर्ती क्रिया क्या है चित्र की सहायता से इसका वर्णन करें ।
उत्तर⇒ प्रतिवर्ती क्रियाए स्वायत्त प्रेरक के प्रट्यूतर है। यह क्रियाएं मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती है। इस लिए अनैच्छिक क्रियाएं हैं । यह बहुत स्पष्ट और यांत्रिक प्रकार की है जैसे जब हमारी आंखों पर तेज रोशनी बढ़ती है तो हमारी आंख की पुतली अचानक छोटी होने लगती है यह क्रिया तुरंत और हमारे मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती है ।
प्रतिवर्ती क्रिया ए मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित पेशियों द्वारा अनैच्छिक क्रियाएं होती है जो प्रेरक के प्रतिउत्तर में होती है ।
यदि शरीर के किसी भाग में अचानक एक पीन चुभोया जाए तो संवेदीयो द्वारा प्राप्त यह दीपक इस क्षेत्र के एफैरैंट तंत्रिका तंतु को उदीपित करता है तंत्रिका तंत्र मेरु तंत्रिका के पृष्ठीय पत्र द्वारा इस उदीपिक को मेरुरज्जु तक ले जाता है।
मेरुरज्जु से यह उदीपिन के अधरीये पथ द्वारा एक या अधिक ईफैरेंट तंत्रिका तंत्र में पहुंचाता है ईफैरेंट तंत्रिका तंतु प्रभावी अंगों को उदीपित करता है पिन चुभोने के तुरंत बाद इसी कारण प्राणी प्रभावी भाग हटा लेता है उदीपिक का संवेदी अंग से प्रभावी अंग तक का पथ प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।
प्रतिवर्ती चाप तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक इकाई बनाती है ।
चित्र : प्रतिवर्ती चाप का रेखाचित्र
प्रतिवर्ती चाप में होता है-
(i) संवेदी अंग – वाहन या स्थान जो प्रेरक को प्राप्त करता है।
(ii) एफैरेंट तंत्रिका तंतु – यह संवेदक प्रेरणा को संवेदी अंग से केंद्रीय तंत्र तक ले जाता है, जैसे मस्तिष्क या मेरुरज्जु।
(iii) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र – मस्तिष्क या मेरुरज्जु का कुछ भाग।
(iv) इफैरेंट अथवा मोटर तंत्रिका – यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से मोटर प्रेरणाओ को प्रभावी अंगों तक लाता है जैसे पेशियां अथवा ग्रंथियां।
(v) प्रभावित अंग – यह तंत्रिका विभिन्न भाग जैसे ग्रंथों की पेशियां जहां मोटर प्रेरणा खत्म होती है और प्रतिउत्तर दिया जाता है।
कार्य – प्रतिवर्ती क्रिया प्रेरक को तुरंत प्रतिउत्तर देने में सहायता करती है और मस्जिद को भी अधिक कार्य से मुक्त करती है।
Class 10th Science ( विज्ञान ) Subjective Question 2023
Science Subjective Question | |
S.N | Class 10th Physics (भौतिक) Question 2023 |
1. | प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन |
2. | मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार |
3. | विधुत धारा |
4. | विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव |
5. | ऊर्जा के स्रोत |
S.N | Class 10th Chemistry (रसायनशास्त्र) Question 2023 |
1. | रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण |
2. | अम्ल क्षार एवं लवण |
3. | धातु एवं अधातु |
4. | कार्बन और उसके यौगिक |
5. | तत्वों का वर्गीकरण |
S.N | Class 10th Biology (जीव विज्ञान) Question 2023 |
1. | जैव प्रक्रम |
2. | नियंत्रण एवं समन्वय |
3. | जीव जनन कैसे करते हैं |
4. | अनुवांशिकता एवं जैव विकास |
5. | हमारा पर्यावरण |
6. | प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन |