Wed. Oct 4th, 2023
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लघु उतरिये प्रश्न
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प्रश्न 1. माँ मंगु को अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती ? विचार करें।
अथवा, मंगु को उसकी माँ अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं करवाना चाहती थी ?

उत्तर ⇒ माँ समझती थी कि मैं माँ होकर सेवा नहीं कर सकती तो अस्पताल वालों को क्या पड़ी है ? अपंग जानवरों की गोशालाओं में भर्ती कर अपने जैसा ही यह कहा जायेगा। उसे कौन प्यार से खिलायेगा ? कौन टट्टी-पेशाब करायेगा ? गीला बिछावन कौन बदलेगा और कौन साथ सोलायेगा ? इन बातों को सोचती हुई वह अपने शरीर से उत्पन्न पुत्री को अस्पताल में भर्ती कराना नहीं चाहती थी।


प्रश्न 2. माँ कहानी के आधार पर माँ की ममता का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ मंगु जन्मजात पागल और मूक थी, फिर भी माँ का व्यवहार वात्सल्यपूर्ण था । वह उसे टट्टी-पेशाब कराती, खिलाती और साथ सुलाती थी। किन्तु भाभियाँ उससे घृणा करती थीं। बहन-भाइयों का व्यवहार भी उसके साथ प्यारयुक्त नहीं , था। वे उसे बोझ समझते थे।


प्रश्न 3. मंगु के प्रति माँ और परिवार के अन्य सदस्यों के व्यवहार में जो फर्क है, उसे अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर ⇒ मंगु जन्मजात पागल और मूक थी, फिर भी माँ का व्यवहार वात्सल्यपूर्ण था। वह उसे टट्टी, पेशाब कराती, खिलाती और साथ सोलाती थी। किन्तु भाभियाँ उससे घृणा करती थीं। बहन कहती कि माँ का लाड़-प्यार उसे अधिक पागल बना दिया है। भाइयों का व्यवहार भी उसके साथ प्यारयुक्त नहीं था।


प्रश्न 4. यह किनकी उक्ति है-“इस तरह पागल पुत्री को तो एक माँ ही पाल सकती है” ?

उत्तर ⇒ यह उक्ति समीप और समाज के लोगों की है।


प्रश्न 5. माँ जी मंगु की श्रेणी में कैसे मिल गई ?

उत्तर ⇒ माँ जी मंगु को अस्पताल में रखकर पुत्र के साथ घर तो लौट गई किन्त उनका हृदय मंगु के बारे में ही सोच रहा था । सब दिन साथ रही बेटी का विछोह उन्हें बेचैन कर रहा था। अन्तर्द्वन्द्व उन्हें एक पल भी शांत नहीं रहने दे रहा था। मंगु की चिन्ता ही माँ जी को मंगु की श्रेणी में मिला दिया अर्थात् वह भी सोचने-समझने की शक्ति खोकर पागल हो गई।


दीर्घ उतरिये प्रश्न

प्रश्न 1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।

उत्तर ⇒ इस कहानी का शीर्षक ‘माँ’ है । सम्पूर्ण कहानी में माँ की ही प्रधानता है। एक माँ अपने अपंग और पागल पुत्री मंगु को भी प्यार करती है, सेवा करती है और सर्वदा चिंतित रहती है।
शीर्षक का निर्धारण घटित घटना के आधार पर, घटना स्थान के आधार पर और प्रधान पात्र के आधार पर होता है। यहाँ कथाकार ने इस कहानी में माँ को ही प्रधान पात्र बनाया है। माँ ही सर्वत्र यहाँ छायी हुई है। अतः कहानी का ‘माँ’ शीर्षक पूर्ण उपयुक्त है।


प्रश्न 2. कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंगु के प्रति माँ, परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर ⇒ कुसुम ठीक होकर घर आयी तब सारा गाँव उसे देखने उमड़ पड़ा और सबसे आगे माँजी थी। कुसुम को ठीक-ठाक देख माँजी को हर व्यक्ति सलाह देने लगा, “माँजी आप मंगु को एक बार अस्पताल में भर्ती करके तो देखें । वह जरूर अच्छी हो जायेगी। कुसुम से घर पर बात होने के बाद माँ का अस्पताल के प्रति जो घृणित गाँठ पड़ गई थी, वह खुल गई और वह भी एक बार यह सोचकर कि ठीक नहीं होगी तो उसे घर लौटा लिया जायेगा इसलिए अस्पताल ले गई।


प्रश्न 3. मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है, उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहारकुशल हैं या संवेदनशील ? विचार करें।

उत्तर ⇒ मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहारकुशल हैं। रोगी के अभिभावक के साथ कैसे पेश आना चाहिए और रोगी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसे वे अच्छी तरह समझते हैं और व्यवहार में लाते हैं। पति के सामने परिचारिका ने पगली स्त्री के साथ बड़ा सौम्य व्यवहार किया । सामान्य लोग ऋद्ध हो जाते । मैटन आदि अस्पताल के कर्मचारियों ने अपने व्यवहार से माँ जी को भी आश्वस्त कर दिए। अतः वे व्यवहार-कुशल है न कि संवेदनशील ।


प्रश्न 4. इस कहानी के द्वारा कवि क्या संदेश देता है ?

उत्तर ⇒ इस कहानी में माँ की ममता और वात्सल्य की भावना को कथाकार पष्ट करत हुए हमें ‘मातदेवो भव” का पाठ स्मरण कराया है। माँ की सेवा
बलिदान और त्याग के लिए हम उसे क्या प्रतिदान दे सकते हैं ! माँ के उस ममता को प्राप्त करने के लिए ही तो हमारे ऋषियों ने ब्रह्म को शक्ति अर्थात् मातृरूप में देखना शुरू किया क्योंकि जितना हमारे समीप माँ हो सकती है, हमारे लिए जितना कष्ट वह उठा सकती है, उतना दूसरा कोई नहीं। अतः हमें भी मनसा, वाचा, कर्मणा, मातृभक्त होना चाहिए।


S.N वर्णिका भाग 2 Subjective Question Answer
1. दही वाली मंगम्मा
2. ढहते विश्वास
3. माँ – कहानी
4. नगर कहानी
5. धरती कब तक घूमेगी

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