Wed. Oct 4th, 2023
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1. रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेंज का वर्णन करें। अथवा, नापाम और एजेन्ट ऑरेंज क्या था ?

उत्तर ⇒ अमेरिका कम्बोडिया में जटरीला एवं वियतनाम में नापाम बम तथा एजेंट ऑरेंज रासायनिक हथियारों का उपयोग संघर्ष के दौरान किया जो अत्यंत घातक एवं पर्यावरण के लिए घातक थे। 1969 में अमेरिका ने कंबोडिया में ‘जटरीला’ नामक रासायनिक छिडकाव किया जिससे 40 हजार एकड़ रबर वृक्ष समाप्त हो गए।

नापाम बम : यह रासायनिक हथियार था जो एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउण्ड है । यह अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से चिपक जाता था और जलता रहता था। इसका व्यापक पैमाने पर वियतनाम में प्रयोग किया गया था।

एजेंट-ऑरेंज : यह एक ऐसा जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ झुलस जाती थी एवं पेड़ मर जाते थे। अमेरिका इनका इस्तेमालं जंगलों के साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया। इस जहर का असर आज भी नजर आता है जन्मजात विकलांगता एवं कैंसर के रूप में।


2. हिन्द-चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें ।

उत्तर ⇒  फ्रांसीसी कम्पनी हिन्द-चीन में प्रसार करने में सक्रिय था। फ्रांसीसी व्यापारियों के साथ-साथ पादरी. भी इस क्षेत्र में आने लगीं। 1747 ई. के बाद फ्रांस अन्नाम में रुचि लेने लगा। किन्तु अभी भी इस क्षेत्र में उसकी पकड़ कमजोर थी। उन्नीसवीं सदी में इस क्षेत्र में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आंदोलन प्रारम्भ हो गया। इससे फ्रांस को अपनी सैन्य शक्ति के प्रयोग का बहाना मिला। उसने सैन्य बल के आधार पर 1862 ई. में अन्नाम को संधि के लिए बाध्य किया। इसी प्रकार 1863 ई. में कम्बोडिया पर तथा 1883 ई. में तोंकिन पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार बीसवीं सदी की शुरुआत तक संपूर्ण हिन्द-चीन क्षेत्र फ्रांस के नियंत्रण में आ गया।


3. अमेरिका हिन्द-चीन में कैसे दाखिल हआ. चर्चा करें।

उत्तर ⇒  अमेरिका दक्षिणी वियतनाम और हिंदचीन में बढ़ते साम्यवादी प्रभाव को रोकना चाहता था। वह पहले से ही वहाँ आर्थिक और सैनिक सहायता दे रहा था। राष्ट्रपति कैनेडी के शासनकाल में 1962 में अमेरिका ने दक्षिणी वियतनाम में सेना भेजकर प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में भाग लिया।


4. हो-ची-मिन्ह के विषय के संबंध में लिखें।

उत्तर ⇒ हो-ची-मिन्ह साम्यवाद से प्रभावित था। उसने 1925 ई. में ‘वियतनामी क्रांतिकारी दल’ का गठन किया एवं फ्रांसीसी साम्राज्यवाद से लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की। 1930 ई. में राष्ट्रवादी गुटों को एकत्रित कर वियतनाम कांग सान देंग अर्थात् कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की । विश्वव्यापी आर्थिक मंदी एवं फ्रांसीसी सरकार की क्रूरता के कारण हो-ची-मिन्ह ने राष्ट्रवादी आंदोलन को तीव्र किया। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापानी सेना के पराजित होने पर 2 सितम्बर, 1945 को उत्तरी वियतनाम को स्वतंत्र घोषित करते हुए डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ वियतनाम की स्थापना की।


5. माई-ली गाँव की घटना क्या थी इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर ⇒  माई ली दक्षिणी वियतनाम में एक गाँव था जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गांव को घेरकर पुरुषों को मार डाला, औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मारकर पूरे गाँव में आग लगा दिया । लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा जिन्दा बच गया। था जिसने इस घटना को उजागर किया था। माई-ली गाँव की घटना उजागर होने पर अमेरिकी सेना की आलोचना सम्पूर्ण विश्व में होने लगी।


6. जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ ?

उत्तर ⇒  जेनेवा समझौता मई, 1954 ई० में हिन्द-चीन समस्या पर वार्ता हेतु बुलाये गये सम्मेलन में हुआ। इसमें वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट दिया गया तथा लाओस तथा कम्बोडिया में वैध राजतंत्र को स्वीकार कर संसदीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया।


7. बाओदाई कौन था?

उत्तर ⇒  बाओदाई अन्नाम का राजा था। 1945 ई० में वियतनाम गणराज्य बन जाने के कारण 25 अगस्त, 1945 ई. को राजसिंहासन छोड़ लंदन में बस गया। – 1949 ई० में फ्रांस ने बाओदाई को सैनिक सहायता के साथ. दक्षिण वियतनाम का शासक बना दिया। बाओदाई स्वयं की कमजोर स्थिति को समझता था। जेनेवा समझौते के बाद भी बाओदाई प्रायः फ्रांस में ही रहता था।


8. एकतरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी ?

उत्तर ⇒  एकतरफा अनुबंध व्यवस्था एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी जिसमें मजदूरों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त थे। रबर बागानों के खेतों एवं खानों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था।


9. होआ-होआ आन्दोलन की चर्चा करें।

उत्तर ⇒  जेनेवा समझौते के बाद दक्षिण वियतनाम में गृहकलह की स्थिति बन गई। इसमें एक धार्मिक वर्ग होआ-होआ द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन की मुख्य . भूमिका थी। होआ-होआ आन्दोलन के काफी आक्रामक हो जाने पर न्यो-दिन्ह ने बड़ी क्रूरतापूर्वक इसे दबाया।


10. हिन्द-चीन का अर्थ क्या है ?

उत्तर ⇒  हिन्द-चीन का तात्पर्य तत्कालीन 2.8 लाख वर्ग कि. मी. में फैले उस प्रायद्वीपीय क्षेत्र से है जिसमें आज के वियतनाम, लाओस ओर कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं। इनकी उत्तरी सीमा म्यांमार एवं चीन को छूती है। दक्षिण में चीन सागर है और इसके पश्चिम में भी म्यांमार का क्षेत्र पड़ता है।


11. हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है ?

उत्तर ⇒ वियतनामियों की रसद सप्लाई मार्ग हो-ची-मिन्ह मार्ग था। वस्तुतः हो-ची-मिन्ह मार्ग हनोई से चलकर लाओस, कम्बोडिया के सीमा क्षेत्र से गुजरता हुआ दक्षिणी वियतनाम तक जाता था जिससे सैकड़ों कच्ची पक्की सड़कें पूरे वियतनाम निकलकर जुड़ी थीं। अमेरिका सैकड़ों बार इसपर बमबारी कर चुका था, परन्तु वियतकांग एवं उसके समर्थित लोग तुरंत उसकी मरम्मत कर लेते थे। इसी मार्ग पर नियंत्रण के चक्कर में अमेरिका ने लाओस-कम्बोडिया पर आक्रमण भी कर दिया था परन्तु तीनतरफा संघर्ष में फंसकर उसे वापस होना पड़ा था।


12. हिन्द-चीन में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के आगमन का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  1570 ई. में मलक्का को केन्द्र बनाकर पुर्तगाली हिन्द-चीनी देशों के साथ व्यापार करने लगे। तत्पश्चात् डच, ब्रिटिश और फ्रांसीसी कंपनियों का इस क्षेत्र में आगमन हुआ।


13. लाओस एवं कम्बोडिया पर भारतीय प्रभाव का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  लाओस एवं कम्बोडिया पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा । इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म एवं हिन्दू धर्म दोनों का प्रसार हुआ । चौथी सदी में स्थापित कम्बोज राज्य के शासक भारतीय मूल के थे। अतः, कम्बोज भारतीय संस्कृति का प्रधान केन्द्र बना । बारहवीं सदी में राजा सूर्यवर्मन ने प्रसिद्ध अंकोरवाट के मंदिर का निर्माण करवाया। यह हिन्दू धर्म का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है। सोलहवीं सदी में कंबोज का पतन हो गया और इसके बाद वहाँ आंतरिक अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गयी।


14. जेनेवा समझौता के प्रावधानों का वर्णन करें।

उत्तर ⇒  जेनेवा समझौता के प्रावधान –

(i) 17वीं अक्षांश रेखा द्वारा वियतनाम को दो भागों में विभाजित कर दिया गया।
(ii) लाओस एवं कम्बोडिया में राजतंत्र को संवैधानिक राजतंत्र में बदल दिया गया, अर्थात् संसदीय शासन-प्रणाली अपनायी गयी।
(iii) 1956 के मध्य के पहले सम्पूर्ण वियतनाम का चुनाव द्वारा एकीकरण करएक सरकार का गठन किया जाए यदि जनता ऐसा चाहे।
(iv) जेनेवा समझौता के क्रियान्वयन की देखभाल के लिए एक त्रिसदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय निगरानी आयोग का गठन किया गया जिसके सदस्य भारत, कनाडा एवं पोलैण्ड थे।

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