1. ओजोन का निर्माण एवं अवक्षय किस प्रकार होता है?
उत्तर⇒ ओजोन का निर्माण-पथ्वी की सतह से लगभग 16 किमी. की ऊँचाई पर सूर्य की किरणों के प्रभाव से वायुमंडल की कुछ ऑक्सीजन गैस ओजोन में परिवर्तित हो जाती है। ओजोन परत पृथ्वी की सतह से 15-60 किमी० की ऊंचाई
पर स्थित है। ओजोन की सबसे अधिक मात्रा 23 किमी० की ऊँचाई पर पाई जाती है। ओजोन वायुमंडल में अणु ऑक्सीजन तथा सूर्य की किरणों की अभिक्रिया से बनती है।
ओजोन का अपक्षय – कुछ रसायन: जैसे फ्लोरोकार्बन (FC) एवं क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), ओजोन (O3) से अभिक्रिया कर, आण्विक (O2) तथा परमाण्विक (O) ऑक्सीजन में विखंडित कर ओजोन स्तर को अवक्षय (deplection) कर रहे हैं। कुछ सुगंध (सेंट), झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक (deodorant) आदि डब्बों में आते हैं और फुहारा या झाग के रूप में निकलते हैं, इन्हें ऐरोसॉल कहते हैं। इनके उपयोग से वाष्पशील CFC वायुमंडल में पहुँचकर ओजोन स्तर को नष्ट करते हैं। CFC का व्यापक उपयोग एयरकंडीशनरों, रेफ्रीजरेटरों, शीतलकों, जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है। वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला कि 1980 के बाद ओजोन स्तर में तीव्रता से गिराई आई है। अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र (ozone hole) की संज्ञा दी जाती है।
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2. जैव आवर्धन क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर यह आवर्धन भिन्न-भिन्न होगा ? अथवा, जैविक आवर्धन क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर⇒ विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार-श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनके हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं । इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है ।
हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीड़कनाशक आदि रसायनों का छिड़काव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग। से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
मनुष्य सर्वभक्षी प्राणी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार श्रृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
उदाहरण- उत्तरी अमेरिका में मिशीगन झील के आसपास मच्छरों के मारने के लिए बहुत अधिक डी. डी. टी. का छिड़काव किया गया जिससे पेलिकन नामक पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई । पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि पानी में प्रति दस लाख कण में 0.2 कण डी० डी० टी० 1 ppm = 1/1000000) है। डी. डी. टी. के उच्च स्तर के कारण पेलिकन पक्षियों के अंडों का आवरण पतला हो गया जिससे बच्चों के निकलने से पहले ही अंडे टूट जाते थे।
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3. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर⇒ मानव अनेकों प्रकार के कचरे को उत्पन्न करता है जिन्हें दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है-
(क) जैव निम्नीकृत तथा (ख) अजैव निम्नीकृत ।
अजैव निम्नीकृत कचरे में धातु के टुकड़े, काँच की बोतलें, पॉलीथीन थैलियाँ, थैले, प्लास्टिक की बोतलें तथा प्लास्टिक की टूटी हुई वस्तुएँ तथा औषधियाँ कीटनाशी, पीड़कनाशी, रासायनिक उर्वरक आदि रसायन सम्मिलित होते हैं।
ऐलुमिनियम की ढापन वाली शीट, सिगरेट की पन्नी आदि भी इसी प्रकार में सम्मिलित हैं।
इस प्रकार का कचरा वायु, जल तथा मृदा को प्रदूषित करते हैं। ये कचरे के ढेर मक्खी, मच्छर, जीवाणु तथा अन्य अनेकों सूक्ष्मजीवों के आवास बन जाते हैं जिससे इन जीवों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इनसे मानव तथा अन्य जंतुओं में अनेकों प्रकार के रोग फैल जाते हैं।
जलीय प्राणियों एवं वनस्पतियों के शरीरों में जल में उपस्थित रसायनों का एकत्रण हो जाता है।
जब मानव द्वारा इन जलीय पादपों एवं जंतुओं का भक्षण किया जाता है तो मानव में अनेकों प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
कुछ प्रकार के रसायन मृदा में मिश्रित हो जाते हैं जो पौधों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं । ये रसायन पादपों के शरीरों में एकत्र हो जाते हैं। जब इन पादपों का प्रयोग मानव द्वारा खाने में किया जाता है तो वे सभी रसायन मानव के शरीर में पहुँच जाते हैं।
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4. पोषी स्तर क्या है ? एक आहार-श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।
उत्तर⇒ पौधे अपने विभिन्न अंगों में सौर ऊर्जा एकत्र करते हैं। इन पौधों को शाकाहारी प्राणियों द्वारा खाया जाता है जिन्हें मांसाहारी प्राणियों द्वारा भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार से खाद्य के आधार पर विभिन्न प्राणियों में एक श्रृंखला निर्मित हो जाती है जिसे खाद्य-शृंखला या आहार-शृंखला कहते हैं। खाद्य श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी ‘पोषी स्तर’ कहलाती है।
एक खाद्य या आहार श्रृंखला नीचे दी गई है-
पादप → कीट → मेढ़क → सर्प → चील (पक्षी)
♦ उपरोक्त वर्णित खाद्य श्रृंखला में पाँच पद (कड़ियाँ) हैं। इनमें से प्रथम पद स्वयंपोषी कहलाता है। इस पद में हरे पौधे निहित होते हैं जो सौर ऊर्जा को अपने विभिन्न भागों में संचित कर लेते हैं।
♦ द्वितीय पोषी स्तर में शाकाहारी प्राणी आते हैं। इसे प्रथम परपोषी स्तर कहते हैं। इसमें कीट जो अपने भोजन के लिए पादपों पर आश्रित होते हैं, सम्मिलित होते हैं। वे पौधों में निहित ऊर्जा का प्रयोग करते हैं।
♦ तृतीय पोषी स्तर में मांसाहारी प्राणी आते हैं। जैसे—मेढ़क, शेर, बाघ आदि । ऊर्जा जो कीटों अथवा अन्य शाकाहारियों में निहित होती है मांसाहारियों में हस्तान्तरित हो जाती है ।
♦ सर्प को चतुर्थ पोषी स्तर में रखा जाता है जो ऊर्जा प्राप्ति के लिए मेढ़क का भक्षण करता है।
गिद्ध, चील (पक्षी) ऊर्जा प्राप्ति के लिए सर्प का भक्षण करते हैं, अतः इन्हें पंचम पोषी स्तर में रखा जाता है।
इस स्तर के पौधों द्वारा संचित सौर ऊर्जा पूर्ण रूप से समाप्त हो चुकी होती है।
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5. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर⇒ किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न स्तरों पर अलग-अलग होगा।
(i) उत्पादकों को हटाने का प्रभाव- यदि उत्पादकों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया तो सारा पारितंत्र ही नष्ट हो जाएगा । तब किसी प्रकार का जीवन नहीं रहेगा।
(ii) शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव – शाकाहारियों को नष्ट करने से उत्पादकों (पेड-पौधों-वनस्पतियों) के जनन और वृद्धि पर रोक-टोक समाप्त हो जाएगी और मांसाहारी भूख से मर जाएंगे ।
(iii) मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव- मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की संख्या इतनी अधिक तेजी से बढी जाएगी कि क्षेत्र की सभी वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएँगी।
(iv) अपघटकों को हटाने का प्रभाव- अपघटकों को हटा देने से मृतक जीव-जंतुओं के ढेर लग जाएंगे। उन के सड़े हुए शरीरों में तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न हो जाने से बीमारियां फैलेंगी। मिट्टी में उत्पादकों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी।
किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है । उत्पादकों को हटाने से शाकाहारी जीवित नहीं रह सकते हैं और शाकाहारियों के न रहने से मांसाहारी नहीं रह सकते । अपघटकों को हटा देने से उत्पादकों को अपनी वृद्धि के लिए पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाएँगे।
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6. ओजोन सतह का हमारे लिये क्या महत्त्व है ? इसका निर्माण कैसे होता है?
उत्तर⇒ पृथ्वी की सतह से लगभग 16 किमी. की ऊँचाई पर सूर्य की किरणों के प्रभाव से वायुमंडल की कुछ ऑक्सीजन गैस ओजोन में परिवर्तित हो जाती है। ओजोन परत पृथ्वी की सतह से 15-60 किमी. की ऊँचाई पर स्थित है। ओजोन की सबसे अधिक मात्रा 23 किमी. की ऊँचाई पर पाई जाती है। ओजोन वायुमंडल में अणु ऑक्सीजन तथा सूर्य की किरणों की अभिक्रिया से बनती है।
ओजोन ओजोन परत सूर्य से आनेवाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित कर लेती है तथा उनके हानिकारक प्रभावों से हमारी रक्षा करती है। यदि वायमंडल में से ओजोन परत लुप्त हो जाए, तो सूर्य से आने वाली समस्त हानिकारक पराबैंगनी विकिरणें सीधे ही पृथ्वी पर पहुँच जायेंगी तथा मानव और अन्य जन्तुओं में ‘त्वचा कैंसर’ नामक गंभीर रोग उत्पन्न कर देंगी।
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7. निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए (i) पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवोम या बायोम
उत्तर⇒
S.N | पारिस्थितिक तंत्र | जीवोम या बायोम |
1. | यह जैव जगत् की स्वयंधारी इकाई है। | यह बहुत से पारिस्थितिक तंत्रों का समूह है। |
2. | यह जैव जीवों और अजैव पर्यावरण से मिल कर बना है। | इसमें समान जलवायु वाले एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के अनेक पारिस्थितिक तंत्र होते हैं। |
3. | यह जैव जगत् की अपेक्षाकृत छोटी इकाई है। | यह जैव जगत् की एक बहुत बड़ी इकाई है। |
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(ii) आहार-शृंखला तथा खाद्य जाल
उत्तर⇒
S.N | आहार-श्रृंखला | खाद्य जाल |
1. | यह किसी पारितंत्र में भोजन तथा ऊर्जा प्रवाह को प्रदर्शित करती है। | इसमें पोषण स्तर की खाद्य शृंखलाओं से जुड़े होते हैं। |
2. | यह भोजन प्राप्त करने की क्रमबद्ध प्रक्रिया आहार श्रृंखला है। | इसमें एक खाद्य श्रृंखला के जीव किसी न किसी पोषण स्तर पर अन्य खाद्य शृंखलाओं से जुड़ कर खाद्य श्रृंखलाओं का जाल सा बनाते हैं। |
3. | इसमें पोषण स्तर सीमित है। | इसमें पोषण स्तर पारितंत्र में प्राकृतिक संतुलन को प्रकट करते हैं। |
4. | यह सीमित और छोटी होती है। | यह कई खाद्य शृंखलाओं का जाल है। |
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बिहार बोर्ड 10 वीं के मॉडल पेपर 2023 पीडीएफ
(iii) मांसाहारी और सर्वभक्षी
उत्तर⇒
S.N | मांसाहारी | सर्वभक्षी |
1. | ये जीव-जंतुओं का मांस ही खाते हैं; जैसे-शेर, चीता आदि। | ये जीव-जंतुओं का मास तथा पेड़-पौधों दोनों से अपना, भोजन प्राप्त कर लेते हैं; जैसे–मनुष्य, चील आदि । |
2. | ये खाद्य श्रृंखला के तीसरे या उससे आगे के स्तर पर आते हैं। | ये प्रायः दूसरे पोषण स्तर पर होते हैं। |
3. | ये प्रायः जंगलों में रहते हैं। | यह किसी भी स्थान पर रह सकते हैं। |
4. | इनके कृतक दांत कम विकसित और कील दांत तथा नाखून अधिक विकसित होते हैं। | इनमें दोनों प्रकार के दांत और नाखून विकसित होते हैं। |
Class 10th Science ( विज्ञान ) Subjective Question 2023
Science Subjective Question | |
S.N | Class 10th Physics (भौतिक) Question 2023 |
1. | प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन |
2. | मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार |
3. | विधुत धारा |
4. | विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव |
5. | ऊर्जा के स्रोत |
S.N | Class 10th Chemistry (रसायनशास्त्र) Question 2023 |
1. | रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण |
2. | अम्ल क्षार एवं लवण |
3. | धातु एवं अधातु |
4. | कार्बन और उसके यौगिक |
5. | तत्वों का वर्गीकरण |
S.N | Class 10th Biology (जीव विज्ञान) Question 2023 |
1. | जैव प्रक्रम |
2. | नियंत्रण एवं समन्वय |
3. | जीव जनन कैसे करते हैं |
4. | अनुवांशिकता एवं जैव विकास |
5. | हमारा पर्यावरण |
6. | प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन |