भारत संसाधन एवं उपयोग ( Subjective ) Bharat sansadhan avn upyog Question Answer For Matric Exam 2023
भारत : संसाधन एवं उपयोग |
1. संसाधन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर ⇒ मानव के उपयोग में आने वाली सभी वस्तुएँ संसाधन हैं । संसाधन का अर्थ जिम्मरमैन के अनुसार, संसाधन होते नहीं बनते हैं। संसाधन भौतिक एवं जैविक दोनों हो सकते हैं। भूमि मृदा, जल खनिज जैसे भौतिक संसाधन मानवीय आकांक्षाओं की पूर्ति संसाधन बन जाते हैं। जैविक संसाधन वनस्पति, वन्य-जीव तथा जलीय जीव जो मानवीय जीवन को सुखमय बनाते हैं।
2. मानव के लिए संसाधन क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर ⇒ प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ हवा, पानी, वन, वन्य जीव, भूमि, मिट्टी, खनिज सम्पदा एवं शक्ति के साधन या स्वयं मनुष्य द्वारा निर्मित संसाधन के बिना मनुष्य की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती हैं तथा सुख-सुविधा नहीं मिल सकती है। मनुष्य का आर्थिक विकास संसाधनों की उपलब्धि पर ही निर्भर करता है। संसाधनों का महत्त्व इस बात से है कि इनकी प्राप्ति के लिए मनुष्य कठिन-से-कठिन परिश्रम करता है, साहसिक यात्राएँ करता है, फिर अपनी बुद्धि, प्रतिभा, क्षमता, तकनीकी ज्ञान और कुशलताओं का प्रयोग करके उनके उपयोग की योजना बनाता है, उन्हें उपयोग में लाकर अपना आर्थिक विकास करता है। इसलिए मनुष्य के लिए संसाधन बहुत आवश्यक है। इसके बिना मनुष्य का जीवन एक क्षण भी नहीं चल सकता है।
3. संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर ⇒ संसाधनों का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग, विविध सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देती है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता है। संसाधनों का नियोजित एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है।
प्राचीन काल से ही संसाधनों का संरक्षण समाज-सुधारकों, नेताओं, चिंतकों एवं पर्यावरणविदों के लिए यह चिन्तनीय एवं ज्वलंत विषय रहा है। वर्तमान में मेघा पाटेकर का नर्मदा बचाओ अभियान, सुन्दर लाल बहुगुणा का चिपको आंदोलन | संसाधन संरक्षण की दिशा में अति सराहनीय कदम है।
4. संसाधन-निर्माण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ भौतिक एवं जैविक संसाधन दोनों पदार्थ तकनीक के सहारे ही जीवनोपयोगी हो पाते हैं। आदि मानव तकनीक को पाकर ज्ञानी मानव बन गया। पर्यावरण में उपलब्ध पदार्थों का जनप्रिय तकनीक के सहारे जीवन को सुखमय बनाने में मानव सक्षम हो गया। जब पर्यावरण में मानव द्वारा जनप्रिय तकनीक का प्रयोग होता है तब सभ्यता विकसित होती है। सदियों से कोयला पेट्रोलियम एवं अन्य खनिज पृथ्वी के गर्भ में पड़ा हुआ था, लेकिन उस समय के आदि मानव में तकनीक ज्ञान का अभाव था।
5. संभावी एवं संचित-कोष संसाधन में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर ⇒ संभावी संसाधन – ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं । जिसे भविष्य में उपयोग लाये जाने की संभावना रहती है । जिसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया हो जैसे-हिमालय क्षेत्र का खनिज, राजस्थान और गुजरात क्षेत्र में पवन और सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएँ हैं।
संचित कोष संसाधन—ऐसे संसाधन भंडार जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है। भविष्य की यह पूंजी है। नदी जल भविष्य में जलविधुत उत्पन्न करने में उपयुक्त हो सकते हैं। ऐसे संसाधन वन में या बाँधों में जल के रूप में संचित है।
6. क्योटो सम्मेलन कहाँ और क्यों आयोजित हुए ?
उत्तर ⇒ दिसम्बर 1997 में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए जापान के क्योटो में सम्मेलन आयोजित हुए।
7. अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र किसे कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ किसी देश की तट रेखा से 200 km. की दूरी तक का क्षेत्र अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र कहा जाता है।
8. नवीकरणीय संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ वैसे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक प्रक्रिया द्वारा नवीकृत या पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल आदि ।
9. जैव संसाधन की प्राप्ति कहाँ से होती है ?
उत्तर ⇒ जैव संसाधन की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन व्याप्त होता है। जैसे- मनुष्य, वनस्पतिजात, प्राणिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि।
10. सतत् विकास किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर, वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकें । ऐसी धारणा सतत् विकास कही जाती है।
11. प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर ⇒ प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन 3-14 जून, 1992 को रियो-डी-जेनेरो में किया गया जिसमें विकसित एवं विकासशील देशों के लगभग प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
12. संसाधन क्या होते हैं ?
उत्तर ⇒ हमारे पर्यावरण में पाई जाने वाली प्रत्येक वस्तु जो हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है, संसाधन कहलाती है। शर्त यह है कि वस्तु तकनीकी रूप से सुगम, आर्थिक रूप से उपयोगी तथा सांस्कृति रूप से मान्य हो।
13. मानव एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है, कैसे ?
उत्तर ⇒ बहुत से लोगों का विचार है कि संसाधन प्रकृति के मुफ्त (निःशुल्क) उपहार होते हैं, परन्तु ऐसा नहीं है। सभी संसाधन मनुष्य के क्रियाकलापों के प्रतिफल होते हैं। मनुष्य प्रकृति में उपलब्ध पदार्थों को संसाधनों में बदलता है। इस दृष्टि से मनुष्य बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं।
14. विकसित संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ स्टॉक से अभिप्राय उन संसाधनों से है जो मानव की जरूरतें तो पूरी कर सकते हैं परन्तु मनुष्य के पास इनके विकास के लिए उचित तकनीक का अभाव है। उदाहरण के लिए जल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन नामक दो ज्वलनशील गैसों का यौगिक है। अतः यह ऊर्जा का बहुत बड़ा स्रोत है। हमारे पास इन गैसों को अलग-अलग करने की तकनीक नहीं है।
15. संसाधनों के विकास में मनुष्यों की क्या भूमिका है ?
उत्तर ⇒ संसाधनों के विकास में मनुष्यों की भूमिका –
(i). मानव प्रौद्योगिकी द्वारा प्रकृति के साथ क्रिया करते हैं और अपने आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए संस्थाओं का निमार्ण करते हैं।
(ii). मनुष्य पर्यावरण में पाए जाने वाले पदार्थों को संसाधनों में परिवर्तित करते हैं तथा उन्हें प्रयोग करते हैं।
भारत : संसाधन एवं उपयोग का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2023
16. उत्पत्ति के आधार पर संसाधन के कितने प्रकार हो सकते हैं ?
उत्तर ⇒ (i) जैव संसाधन – ऐसे संसाधनों की प्राप्ति जैवमंडल से होती है। इनमें सजीव के सभी लक्षण मौजूद होते हैं, उसे जैव संसाधन कहते हैं ।जैसे-मनुष्य, मत्स्य, पशुधन तथा अन्य प्राणि समुदाय ।
(ii) अजैव समुदाय – निर्जीव वस्तुओं के समूह को अजैव संसाधन कहा जाता है । जैसे-चट्टानें, धातु एवं खनिज आदि ।
17. नवीकरणीय संसाधन एवं अनवीकरणीय संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ नवीकरणीय संसाधन – वैसे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा उसे पुनः प्राप्त किये जा सकते हैं । जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत आदि।
अनवीकरणीय संसाधन – ऐसे संसाधन का विकास लंबी अवधि में जटिल प्रक्रिया द्वारा होता है। जिस चक्र को पूरा होने में लाखों वर्षों लग जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी संसाधन है, जो पुनः चक्रीय नहीं है। एक बार प्रयोग होने के बाद समाप्त हो जाते हैं, जैसे- जीवाश्म ऊर्जा ।
18. संसाधनों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार क्या हैं ?
उत्तर ⇒ संसाधनों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार निम्नलिखित हैं –
(i) उत्पत्ति के आधार पर : जैव और अजैव ।
(ii) उपयोगिता के आधार पर : नवीकरणीय और अनवीकरणीय ।
(iii) स्वामित्व के आधार पर : व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ।
(iv) विकास की स्थिति के आधार पर : संभाव्य, विकसित, भंडार और संचित ।
19. संसाधन नियोजन क्या है?
उत्तर ⇒ संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ही संसाधन नियोजन है। वर्तमान परिवेश में संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हमारे सामने चुनौती बनकर खड़ा है। संसाधनों के विवेकपूर्ण दोहन हेतु सर्वमान्य रणनीति तैयार करना संसाधन नियोजन की प्रथम प्राथमिकता है।
संसाधन नियोजन किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक होता है । भारत जैसे देश के लिए तो यह अपरिहार्य है, जहाँ संसाधन की उपलब्धता में अत्यधिक विविधता के साथ-साथ सघन जनसंख्या व्याप्त है। यहाँ कई ऐसे प्रदेश हैं, जो संसाधन सम्पन्न हैं । पर; कोई ऐसे भी प्रदेश हैं जो संसाधन की दृष्टि से काफी विपन्न हैं। कुछ ऐसे भी प्रदेश हैं; जहाँ एक ही प्रकार के संसाधनों का प्रचुर भंडार है और अन्य दूसरे संसाधनों में वह गरीब है। अतः राष्ट्रीय, प्रांतीय तथा अन्य स्थानीय स्तरों पर संसाधनों के समायोजन एक संतुलन के लिए संसाधन-नियोजन की अनिवार्य आवश्यकता है।
20. विकास के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है ?
उत्तर ⇒ विकास के आधार पर संसाधन को चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है –
(i) संभावी संसाधन : ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं, जिसे उपभोग में लाये जाने की संभावना रहती है तथा जिसका उपयोग अभी तक । नहीं किया गया हो।
(ii) विकसित संसाधन : ऐसे संसाधन जिनका सर्वेक्षणोपरांत उसके उपयोग हेतु मात्रा एवं गुणवत्ता का निर्धारण हो चुका है।
(iii) भंडार संसाधन : ऐसे संसाधन पर्यावरण में उपलब्ध होते हैं जो मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम हैं। किंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभाव में इन्हें केवल भंडारित संसाधन के रूप में देखा जाता है।
(iv) संचित कोष संसाधन : वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार के ही अंश हैं, जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है, किंतु इनका उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। भविष्य की यह पूँजी है।
1. (क) प्राकृतिक संसाधन |
1. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर ⇒ पृथ्वी पर कोयला, पेट्रोल जैसे अनेक महत्वपूर्ण अनवीकरणीय संसाधन हैं जो एक बार उपयोग होने के बाद दोबारा उपयोग में नहीं आते हैं। विकास की गाड़ी को लगातार जारी रखने के लिए इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है। नहीं तो इनकी प्राप्ति असंभव हो जाएगी। इसलिए संसाधनों का संरक्षण जरूरी हैं।
2. जलोढ़ मिट्टी के विस्तार वाले राज्यों के नाम बतावें। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगायी जा सकती सकती हैं ?
उत्तर ⇒ जलोढ़ मिट्टी मुख्य रूप से बिहार, आन्ध्रप्रदेश, प. बंगाल, उत्तराखंड पंजाब, हरियाणा राज्यों में मिलता है । इस मिट्टी में मुख्य रूप चावल, जूट, तम्बाकू, गेहूँ, गन्ने आदि फसलें होती है।
3. जलोढ़ मृदा से क्या समझते हैं? इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं ?
उत्तर ⇒ जलों द्वारा बहाकर लायी गई मिट्टी को जलोढ़ मृदा कहते हैं। जलोढ़ मृदा में निम्न फसलें उगाई जा सकती है-गन्ना, चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन आदि।
4. फसल चक्रण मृदा संरक्षण में किस पर सहायक है ?
उत्तर ⇒ फसल चक्रण द्वारा मृदा के पोषणीय स्तर को बरकरार रखा जा सकता है। गेहूँ, कपास, मक्का, आलू आदि को लगातार उगाने से मृदा में ह्रास उत्पन्न होता है । इसे तिलहन, दलहन पौधे की खेती के द्वारा पुनर्घाप्ति किया जा सकता है। इससे नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है।
5. खादर और बांगर मिट्टी में अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर ⇒ नदियों के बाढ़ के मैदान की नवीन बारीक कणों वाली काँप मिटटी को खादर एवं नदियों द्वारा जमा की गई पुरातन काँप मिट्टी को बांगर मिट्टी कहते हैं।
6. भू-क्षरण के क्षेत्र लिखिए।
उत्तर ⇒ भारत के मध्य प्रदेश में चम्बल नदी की द्रोणी, उत्तर प्रदेश में आगरा. इटावा और जालौन जिलों में, तमिलनाडु के दक्षिण व उत्तरी अर्काट, कन्याकुमारी, तिरुचिरापल्ली, चिंग्लीपुट, सलेम और कोयम्बटूर जिलों में भू-क्षरण क्षेत्र अधिक है।
7. स्थानीय मिट्टी और बाहित मिट्टी से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर ⇒ स्थानीय मिट्टी में चीका व बालू की मात्री लगभग समान होती है और कृषि के लिए उपयुक्त होती है जबकि बाहित मिट्टी में बालू, कूड़ा-करकट व जल की मात्रा अधिक होती है, इस पर कृषि करना संभव नहीं होता है।
8. मृदा निर्माण के कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ मृदा निर्माण के कारक हैं – तापमान परिवर्तन, प्रवाहित जल की क्रिया, पवन, हिमनद और अपघटन की अन्य क्रियाएँ। ये सभी मिलकर मृदा निर्माण में सहयोग करती है। मृदा निर्माण में जैव एवं अजैव दोनों कारकों की भूमिका रहती है।
9. पवन अपरदन वाले क्षेत्र में कृषि की कौन-सी पद्धति उपयोगी मानी जाती है?
उत्तर ⇒ पवन अपरदन वाले क्षेत्रों में पहिका कृषि (Shripharming) उपयोगी है जो फसलों के बीच घास की पट्टियाँ विकसित कर ली जाती है।
10. समोच्च कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ पहाड़ी या पर्वतीय भागों में समोच्च जुताई द्वारा कृषि होती है। ताकि इसके द्वारा मृदा अपरदन को रोका जा सकता है। तीव्र ढालों वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के अनुसार मेड़ बनाकर कृषि की जाती है ताकि पानी के बहाव में रूकावट आती है और कृषि की जाती है।
11. भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है? यहाँ की मृदा की क्या विशेषता है ?
उत्तर ⇒ भारत के पूर्वी तटीय मैदान स्थित महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा का निर्माण हुआ है। यहाँ की मृदा में पोटाश, फास्फोरस और चूना जैसे तत्वों की प्रधानता है। अधिक उपजाऊ होने के कारण गहन कृषि की जाती है।
12. राष्ट्रीय वन नीति कब बनाया गया ?
उत्तर ⇒ राष्ट्रीय वन नीति 1952 ई. में बनाया गया।
13. भू-क्षरण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ मृदा को अपने स्थान से विविध क्रियाओं द्वारा स्थानांतरित होना ही भू-क्षरण कहलाता है।
14. पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर ⇒ पहाड़ी क्षेत्रों में समोच्च जुताई (Contour ploughing) द्वारा मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
15. भारत में काली मिट्टी कहाँ पायी जाती है ?
उत्तर ⇒ यह भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्य में मिलती है। यह भारत के 6.4 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर फैली है। खास तौर पर दक्कन के लावा प्रदेश में मिलती है।
16. लाल मिट्टी का वितरण क्षेत्र बताएँ।
उत्तर ⇒ लाल मिट्टी की भरमार तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, द०-पू०, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छोटानागपुर एवं मेघालय पठार के क्षेत्रों में मिलती है। यह मिट्टी मुख्य रूप से 100 cm. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलती है। भारत के कुल कृषि भूमि के 7.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि में मिलती है।
17. लेटेराइट मिट्टी की विशेषता क्या है ?
उत्तर ⇒ लेटेराइट का शाब्दिक अर्थ ‘ईंट’ होता है। इस प्रकार मिट्टी का विकास उच्च तापमान एवं अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में हुआ है। अत: एल्युमीनियम और लोहे के ऑक्साइड के कारण इसका रंग लाल होता है। इस प्रकार की मिट्टी में रासायनिक खाद एवं अन्य के साथ प्रयोग का प्रयास किया जाता है। यह मिट्टा चाय. कहवा, काजू की खेती के लिए उपयुक्त है।
18. “मिट्टी का कटाव एक गंभीर समस्या है।” कैसे?
उत्तर ⇒ बहते पानी या हवा जैसे प्राकतिक वाहकों द्वारा मिट्टी का हटना या स्थानांतरित होना मिट्टी कटाव कहलाता है। तेज कटाव होने पर भूमि क्षतिग्रस्त हो जाती है तथा वह कृषि के लायक नहीं रह जाती है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड की लगभग 40 लाख हेक्टेयर भूमि कटाव से ग्रसित है।
19. भूमि ह्रास को रोकने के लिए पाँच प्रमुख सुझाव दें।
उत्तर ⇒ भूमि-क्षेत्र में ह्रास के कई कारण हैं जिसे रोकने के लिए पाँच प्रमुख उपाय या सुझाव हैं-
(i) पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर खेती करना ।
(ii) मरुस्थल के सीमावर्ती क्षेत्र में झाड़ियों को लगाना ।
(iii) पशुचरण एवं वन कटाव पर प्रतिबंध लगाना ।
(iv) काटे गए वन के स्थान पर जंगल लगाना ।
(v) मैदानी क्षेत्रों में बेकार पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण करना ।
20. मृदा अपरदन की परिभाषा दें। मृदा अपरदन रोकने में सहायक तीन उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ प्राकृतिक अथवा मानवीय कारणों से मिट्टी का अपने मूल स्थान से हटना अथवा मिट्टी की उपजाऊ परत के कटाव एवं बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है। मृदा अपरदन के लिए मृदा का असंगठित होना अनिवार्य है। इसके कई कारण हैं।
मृदा संरक्षण या मृदा अपरदन रोकने के तीन उपाय हैं –
(i) वानिकी कार्यक्रम के तहत बेकार पड़ी भूमि पर सामाजिक वानिकी, क्षतिपूर्ति वानिकी एवं विशिष्ट वानिकी पर जोर देना।
(ii) पर्वतीय क्षेत्रों में वन-कटाव एवं स्थानांतरी कृषि पर प्रतिबंध लगाना एवं समोच्च रेखी कृषि करना।
(iii) मैदानी भागों में वृक्षारोपन के साथ-ही-साथ फसल-चक्र, पट्टी कृषि आदि पर जोर देना तथा सिंचाई द्वारा अधिक समय तक भूमि को हरा-भरा रखना।
1. (ख) जल संसाधन |
1. भारत की नदियों के प्रदूषण के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर ⇒ वर्तमान समय में भारत की अधिकांश नदियाँ प्रदूषित है एवं छोटी नदियाँ तो अत्यंत विषैली हो गई हैं। कारण देश की अधिकांश बड़ी नदियों के तट पर स्थित बड़े-नगरों तथा तटों के पास औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा कारखानों से विस्तृत जल के प्रवाह के कारण अधिकांश नदियाँ प्रदूषित हो गयी हैं । इसके अलावे घरेलू एवं रसायनों, कीटनाशकों, कारखानों के कचरे, रंगों एवं जीव जंतु, पेड़-पौधे, मृत शरीर के अवशेष भी नदियों के जल को प्रदूषित कर रहे हैं।
2. जल संसाधन के क्या उपयोग हैं? लिखें।
उत्तर ⇒ जल संसाधन का उपयोग पेयजल, घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योग, जन स्वास्थ्य, स्वच्छ जल, जलविद्युत निर्माण, मत्स्य पालन, जलकृषि, पर्यटन विकास, जल-क्रीड़ा, परमाणु संयंत्र, शीतलन, औद्योगिक क्षेत्रों में इसका उपयोग होता है।
3. भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है ?
उत्तर ⇒ भारत के पूर्वी तटीय मैदान स्थित महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा का निर्माण हुआ है। यहाँ की मृदा में पोटाश, फॉस्फोरस और चूना जैसे तत्वों की प्रधानता है। अधिक उपजाऊ होने के कारण गहन कृषि की जाती है।
4. जल संकट क्या है ?
उत्तर ⇒ उद्देश्य जनित जल की अनुपलब्धता जल संकट कहलाता है । सूखा जल संकट का ही कारण है। वर्षा में वार्षिक और मौसमी परिवर्तन के कारण जल संसाधन की उपलब्धता के समय और स्थान की विभिन्नता से है.। प्रायः जल की कमी इसके अतिशोषण, अतिउपयोग एवं समाज के विविध वर्गों में जल की असमान वितरण से उत्पन्न होती है। किसान खेतों पर अपने निजी कुँए और नलकूप के द्वारा भमि को संचित कर कृषि उत्पादन को बढ़ा रहे हैं । इससे भूमिगत जल-स्तर नीचे हो रहा है। गिर रहा है और जल संकट उत्पन्न हो रहा है।
5. नदी-घाटी परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्यों को लिखें। अथवा, नदी-घाटी परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर ⇒ नदी घाटी परियोजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
(i) सिंचाई और भूमि का वैज्ञानिक उपयोग एवं प्रबन्ध।
(ii) जल विधुत शक्ति उत्पादन में वृद्धि और औद्योगिकरण।
(iii) बाढ़ नियंत्रण और बीमारियों की रोकथाम में सहायता।
(iv) मछली फार्मिंग का विकास एवं कृत्रिम झीलों में आमोद-प्रमोद के साधन उपलब्ध कराना।
(v) भूमि कटाव रोककर उसे कृषि योग्य बनाना आदि।
6. वर्षा जल संग्रहण/वर्षा की खेती से आप क्या समझते हैं ? इसके उद्देश्यों को लिखें।
उत्तर ⇒ जल संग्रहण/वर्षा की खेती का तात्पर्य आर्द्र खेती से है, जो विशेषकर कांप और काली मिटटी के क्षेत्रों में की जाती है। यहाँ 100 से 200 सेमी. वर्षा होती है । मध्यवर्ती गंगा का मैदान इसका प्रमुख क्षेत्र है जहाँ प्रायः दो फसलें पैदा की जाती है और कभी-कभी जायद की फसल भी उत्पन्न कर ली जाती है। ऐसे क्षेत्र में उन्नत सिंचाई तंत्र का भी शुष्क मौसम में प्रयोग कर लिया जाता है।
7. अंतर्राज्यीय जल-विवाद के क्या कारण हैं ?
उत्तर ⇒ अंतर्राज्यीय जल-विवाद का मुख्य कारण एक नदी का कई राज्यों से होकर बहना एवं जल बँटवारे को लेकर एक राज्य से दूसरे राज्य में हमेशा टकराहट होती है जैसे-कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू के बीच कावेरी जल-विवाद, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश के बीच तुंगभद्रा जल विवाद ।
8. हिमालय के तीन मुख्य नदी क्षेत्रों के नाम बताइए ?
उत्तर ⇒ (i) सिंधु नदी क्षेत्र (ii) गंगा-नदी क्षेत्र (iii) ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र
9. पृथ्वी को नीला ग्रह की संज्ञा क्यों दी जाती है ?
उत्तर ⇒ पृथ्वी पर जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को नीला ग्रह की संज्ञा दी जाती है।
10. भारत में कुल विधुत का कितना प्रतिशत जल-विद्युत से प्राप्त होता है?
उत्तर ⇒ वर्तमान समय में भारत में कुल विधुत उत्पादन का लगभग 22% भाग जल विधुत से प्राप्त होता है।
11. भूमिगत जल किसे कहते हैं?
उत्तर ⇒ वर्षा जल के धरातलीय छिद्रों से रिस-रिसकर कठोर शैलीय आवरण पर जमा जल भमिगत जल कहलाता है।
12. राष्ट्रीय जल नीति को कब स्वीकृत किया गया ?
उत्तर ⇒ जल संसाधन के दुर्लभता या संकट निवारण हेतु सरकार ने सितम्बर, 1987 में ‘राष्ट्रीय जल नीति’ को स्वीकृत किया।
13. नर्मदा बचाओ आंदोलन क्या है ?
उत्तर ⇒ नर्मदा बचाओ आंदोलन एक गैर सरकारी संगठन है जो स्थानीय लोगों, किसानों, पर्यावरणविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गुजरात के नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध के विरोध के लिए प्रेरित करता है।
14. “जल एक दुर्लभ संसाधन है।” कैसे?
उत्तर ⇒ विश्व में उपलब्ध कुल जल का 96.5% भाग महासागरों में खारा पानी के रूप में है जो पीने योग्य नहीं है। शेष 2.5% जल मीठे पानी के रूप में है। इसका भी मात्र 30% भाग ही नदियों, तालाबों एवं भूमिगत जल के रूप में है। यही नहीं, इस जल का वितरण भी काफी असमान है एवं प्रदूषित भी होता जा रहा है। इसलिए, जल एक दुर्लभ संसाधन है।
15. कोसी परियोजना का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर ⇒ बिहार की कोसी नदी पर विकसित कोसी परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़-नियंत्रण, सिंचाई, भूमि-संरक्षण, मलेरिया-नियंत्रण एवं जल विधुत उत्पादन करना है। इस परियोजना की कुल विधुत उत्पादन क्षमता 20 हजार मेगावाट है, जिसकी आधी बिजली नेपाल को दी जाती हैं इस परियोजना के तहत नेपाल स्थित हनुमाननगर में बराज का निर्माण किया गया है।
16. भारत के असमाप्त होनेवाले भौम जल संसाधन का वर्णन कीजिए ?
उत्तर ⇒ भारत के असमाप्त होने वाले जल संसाधन ऐसे संसाधन हैं जिन्हें हम कुँओं और नल-कुपों की सहायता से प्रयोग में ला सकते हैं, विशेषकर उन परिस्थितियों में जब भूमि को धरातल पर पाए जाने वाले जल की कमी हो जाए । भारत में भौम जल की सम्भावित क्षमता लगभग 434 अरब घन मीटर है। भौम जल का अधिकतर भाग भारत के मैदानी भागों में पाया जाता है । उत्तरा भारत में, क्योंकि वर्षा अधिक होती है इसलिए वर्षा का एक बड़ा भाग रिस-रिसकर भमि के नीचे चला जाता है, इसलिए वहाँ भौम जल की मात्रा बढ़ जाती है ।
अभी तक हम इस भौम जल के 37% भाग का ही उपयोग करने में समथ हुए हैं।
17. जल-प्रदूषण रोकने के उपायों की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ जल-प्रदूषण रोकने के प्रमुख उपाय हैं –
(i) शहरों या नगरों का कूड़ा-करकट, मल आदि निकटवर्ती नदियों अथवा जलाशयों में उपचारित कर गिराना।
(ii) कल-कारखानों से निकलनेवाले अपशिष्ट रासायनिक पदार्थों को जलाशयों या नदियों में नहीं गिरने देना।
(iii) तालाबों एवं खेतों में कम-से-कम कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना।
(iv) महासागरों में परमाणु बम परीक्षण आदि के प्रयोग पर रोक लगाना।
(v) जल प्रदूषित न करने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना।
18. जल संभर विकास क्या है?
उत्तर ⇒ जल संभर वह क्षेत्र है जिसे बड़ी नदी की एक सहायक नदी सींचती हैं। इसके विपरीत एक ऐसा विशाल क्षेत्र जिसे एक नदी और उसकी सहायक नदियाँ सींचती हैं उसे द्रोणी कहा जाता है। इस प्रकार जल संभर नदी द्रोणी का एक भाग-मात्र होता है।
जब एक जल संभर का विकास करने के लिए अनेक प्रयत्न किये जाते हैं तो इसे जल संभर विकास कहते हैं । जल संभर विकास में क्षेत्र को विकसित करने के अनेक प्रयत्न किए जाते हैं जैसे जल संग्रहण, मिट्टी और आर्द्रता का संरक्षण, वृक्षारोपण, उद्यान-कृषि, चारागाह विकास तथा सामुदायिक भूमि संसाधनों का विकास आदि सम्मिलित होता है। ऐसे कार्य में स्थानीय लोगों के सहयोग एवं सहायता की आवश्यकता पड़ती है। राज्य एवं केन्द्रीय सरकारें जल संभर विकास को सफल बनाने में हर सम्भव प्रयत्न करती हैं ताकि भूमि की क्षमता भी बनी रहे और स्थानीय लोगों की आवश्यकताएँ भी पूरी होती रहें।
19. भारत में जल संसाधन का वितरण अपर्याप्त है। कैसे ?
उत्तर ⇒ भारत में जल संसाधन का वितरण अपर्याप्त है। क्योंकि भारत में विश्व की लगभग 16% आबादी. निवास करती है और इस आबादी के लिए विश्व का लगभग 4% जल ही उपलब्ध है। भारत में प्रतिवर्ष 4000 घन कि० मी. जल वर्षण से तथा 1869 घन कि. मी. जल भू-पृष्ठीय जल से प्राप्त होते हैं। कुल भू-पृष्ठीय जल का लंगभग 2/3 भाग देश की तीन बड़ी नदियाँ; सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित है। आज भारत में जल भंडारण हेतु जलाशयों का निर्माण द्रुत गति से हो रहा है। जिसकी जल भंडारण की क्षमता लगभग 174 अरब घनमीटर हो गई है। भारत की स्थलाकृति स्वरूप एवं अन्य बाधाओं की वजह से केवल 690 अरब घनमीटर जल का ही उपयोग का पता है।
20. भूमिगत जल के उपयोग में क्या समस्याएँ आती हैं ?
उत्तर ⇒ जल मनुष्य के जीवन के मख्य आधार है यह न केवल कृषि के लिए आवश्यक है, वरन् इससे मानव की अनगिनत अन्य समस्याएँ भी हल होती हैं। शताब्दियों से मानव भू-पृष्ठीय जल एवं भूमिगत जल का प्रयोग अपने लाभ के लिए करता आ रहा है। विशेषकर जब मनुष्य को निकट से भू-पृष्ठीय जल की उपलब्धि न हो सके तो उसे भूमिगत जल के उपयोग में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
इसमें कुछ मुख्य समस्याएँ इस प्रकार हैं-
(i) जल-स्तर का नीचे चला जाना – जब भू-पृष्ठ जल निकट उपलब्ध न हो तब मनुष्य भूमिगत जल का प्रयोग करने लगता है। ऐसा निरन्तर करते रहने से जल-स्तर काफी नीचे गिर जाता है और कई बार तो कुएँ बिल्कुल ही सूख जाते हैं।
(ii) पहाडी भू -भाग का बड़ी रूकावट सिद्ध होना – भूमिगत जल का प्रयोग करने के लिए भूमि में कुएँ खोदने पड़ते हैं और यदि भूमि पहाड़ी हो तो इन कुओं का खोदना एक बड़ी विकट समस्या बन जाती है। ऐसे में भूमिगत जल तक पहुँचना ही कठिन बन जाता है तो उसका उपयोग कैसे किया जा सकता है।
(iii) महँगा सौदा – यदि पानी बहुत हो तो गहरे कुएँ खोदने में बहुत खर्च आ जाता है । न केवल खुदाई में अधिक लागत आती है, वरन् पम्प सेट तथा पाइपों आदि क खरीदने में भी काफी धन की आवश्यकता पड़ती है।
1. (ग) वन एवं वन्य प्राणी संसाधन |
1. वन-जीवों के ह्रास के चार प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर ⇒ वन-जीवों के हास के मुख्य कारक निम्नलिखित हैं –
भोजन, सुरक्षा एवं आनन्द के लिए वन्य जीवों का शिकार वनीय जीवों के विनाश का एक बड़ा कारण है । वन जीवों के विनष्ट पशुचारण के कारण वन्य प्राणी लुप्त हो गए । यातायात की सुविधाओं के कारण वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण हुआ, प्रदूषित जनित समस्या आदि।
2. वन एवं वन्य जीवों के महत्व को लिखें।
उत्तर ⇒ वन एवं वन्य जीव मानव जीवन के प्रमुख हमसफर हैं। वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच है। वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं जो पेड़-पौधे तथा झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं। वन जैव विविधताओं का आवास होता है। यह केवल एक संसाधन ही नहीं बल्कि पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण घटक है। हमारा इनसे अटूट सम्बन्ध है। वन प्रकृति का एक अमूल्य धरोहर है। वन एवं वन्य प्राणी मानव के लिए प्रतिस्थापित होने वाला संसाधन है। यह इस जीव-मंडल में सभी जीवों की संतुलित स्थिति में जीने के लिए पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान देता है क्योंकि सभी जीवों के लिए खाद्य ऊर्जा का प्रारंभिक स्रोत वनस्पति होता है। भारत में वन संसाधन एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। वर्तमान समय के विकास की दौड़ में हम ने अपने अतीत के सभी गौरवशाली परम्पराओं को नकार दिया है। वन एवं वन्य प्राणी के महत्त्व को नहीं समझ रहे हैं और तेजी से इस संसाधन का विदोहन कर रहे हैं। वस्तुतः हमें वन और वन्य जीव संसाधनों को संरक्षण देना चाहिए।
3. वन के पर्यावरणीय महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर ⇒ वन पृथ्वी का सुरक्षा कवच है । यह न केवल संसाधन होता है बल्कि पारिस्थैतिक तंत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण घटक है। वन मृदा कटाव को रोकने के साथ ही पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को घटाते हुए जीवनदायी ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है । यह भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के साथ ही वर्षा की उपलब्धता में वृद्धि करता है।
4. चिपको आन्दोलन क्या है ?
उत्तर ⇒ उत्तराखण्ड के लोगों ने गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों में 1870 के दशक में जंगलों की व्यवसायी कटाई के विरुद्ध एक आंदोलन चलाया, जो चिपको आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध हुआ । ग्रामीण लोग पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उनके साथ चिपक जाते थे। इस आंदोलन का नेतृत्व चण्डी प्रसाद भट्ट और कई महिलाओं एवं बच्चों ने मिलकर किया । इस आंदोलन का प्रभाव भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर पडा। जिसके कारण 15 वर्षों तक हिमालय क्षेत्रों में वनों की कटाई रोक दी।
5. बिहार में वन विनाश के दो मुख्य कारकों को लिखें। अथवा, वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखें।
उत्तर ⇒ वनों के विनाश का एक सबसे बड़ा कारण कृषिगत भूमि का फैलाव है । बड़ी विकास योजनाओं, तेजी से खनन कार्य के कारण भी वनों का क्षारण होता रहा है एवं मानवीय हस्तक्षेप, पालतू पशुओं के द्वारा अनियंत्रित चारण एवं रेल-सडक मार्ग और ईंधन की लकड़ियों, औद्योगिक विकास एवं नगरीकरण भी वन विनाश का मुख्य कारण है।
6. बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर ⇒ बिहार विभाजन के बाद वन विस्तार में बिहार राज्य दयनीय स्थिति में आ गया है। यहाँ मात्र 6764.14 हेक्टेयर में वन क्षेत्र है। यह भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 7.1% है। बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र समाप्त हो गया है। पश्चिमी चम्पारण, मुंगेर, बाँका, जमुई, नवादा, गया, रोहतास, कैमूर एवं औरंगाबाद जिले में वनों की स्थिति अच्छी है।
7. भारत के तीन राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ भारत के तीन राष्ट्रीय उद्यान हैं –
(i) जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान ( उत्तराखण्ड )
(iii) शिवपुरी ( मध्य प्रदेश )
(iii) नन्दन कानन ( उड़ीसा )
8. इन-सीद प्रयास क्या है ?
उत्तर ⇒ वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित करने का प्रयास’इन सीटू’ प्रयास कहलाता है।
9. भारत के दो प्रमुख जैव मंडल क्षेत्र का नाम क्षेत्रफल एवं प्रांतों का नाम बताएँ।
उत्तर ⇒ नन्दा देवी – 2,236.74 (कुल भौगोलिक क्षेत्र) वर्ग किलोमीटर है । चमौली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों का भाग (उत्तराखंड) में है।
सुन्दर वन – 9,630 (कुल भौगोलिक क्षेत्र) वर्ग किलोमीटर है । गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र के डेल्टा और इसका भाग (पश्चिम बंगाल) में है।
10. वन्य- जीवों के ह्रास में प्रदूषण जनित समस्या पर अपना विचार स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ प्रदूषण जनित समस्या — बढ़ते प्रदूषणों के कारण कई समस्याओं को जन्म दिया उनमें वन्य जीवों की संख्या में कमी के प्रमुख कारक पराबैंगनी किरणें, अम्ल वर्षा और हरित गृह प्रवाह है। इसके अलावे वायु-जल एवं मृदा प्रदूषण के कारण वन्य-जीव का जीवन-चक्र गंभीर रूप से ग्रसित हो रही है।
11. वन और वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर ⇒ वन्य जीव की संख्या और वन्य के शीघ्र पतन के कारण संरक्षण आवश्यक हो गया है। संरक्षण पारिस्थितिक विभिन्नता और जीवन-यापन तंत्र को सुरक्षित रखता है। यह पौधों और जानवरों की प्रजनन विभिन्नता को सुरक्षित रखता है।
हमारे बहुत-से प्राचीन रीति-रिवाज भी वन और वन्य जीव संरक्षण में लाभदायक हुए हैं। उदाहरण के लिए बरगद, पीपल, तुलसी और नीम की पूजा आज भी हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर की जाती है। अनेक समुदायों में इनकी कटाई तथा प्रयोग वर्जित है। इसी प्रकार मोर, नीलकंठ, तोते और नील गाय जैसे पशु भी संरक्षित किए जाते हैं।
12. तीन वन्य जीव अभ्यारण्य के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ (i) काजीरंगा (आसाम), (ii) चंदका (उड़ीसा) और (iii) बांदीपुर (कर्नाटक)।
13. वन विस्तार की दृष्टि से विश्व का प्रथम देश कौन है ?
उत्तर ⇒ रूस में 809 करोड़ हेक्टेटर वन क्षेत्र है जो विश्व में वन विस्तार की दृष्टि से प्रथम है।
14. दस लुप्त होने वाले पशु-पक्षियों का नाम लिखिए।
उत्तर ⇒ चीता, गिद्ध, गेंडा, गिर सिंह, मगर हसावर, बराहसिंगा, भेड़िया, सारंग और लाल पण्डा आदि ।
15. जैव भंडार क्या है ?
उत्तर ⇒ जैव भंडार में विस्तृत जंगल होता है जिसमें पौधे तथा जानवर अपने प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित रहते हैं।
16. राष्ट्रीय उद्यान क्या है? दो उदाहरण दें।
उत्तर ⇒ प्राकृतिक वनस्पति, प्राकृतिक सुन्दरता तथा वन्य जीवन को सुरक्षित रखनेवाले स्थान को राष्ट्रीय उद्यान कहते हैं। उदाहरण-कार्बेट तथा काजीरंगा ।
17. संकटग्रस्त एवं विलुप्त प्रजातियों में क्या अंतर है ? स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण नष्ट होते जा रहे जीवों को संकटग्रस्त जीव का जाता है। जैसे-सिंह, चीता, काला हिरण, मगरमच्छ इत्यादि।
दूसरी ओर, रहने के स्थानों में खोज करने पर अनुपस्थित पाए जानेवाले जीवों की प्रजातियों को विलुप्त प्रजाति के जीव कहते हैं। जैसे- एशियाई चीता, गुलाबी सिरवाली बत्तख आदि।
18. वनों के संरक्षण पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर ⇒ देश में वन संसाधनों पर जनसंख्या का भारी दवाब है। बढ़ती जनसंख्या के लिये, कृषि के लिये भूमि की आवश्यकता होती है जानवरों के लिये चरागाह की आवश्यकता होती है। उद्योगों की आपूर्ति के लिये वनों का तेजी से शोषण हो रहा है। इसलिये यह आवश्यक है कि वनों के संरक्षण के लिये भिन्न विधियाँ अपनाई जाएँ । वनारोपण तथा पुनर्वनारोपण कई क्षेत्रों में विकसित किया जा रहा है। घासभूमियाँ पुनः बनाई जा रही हैं। तेजी से उगनेवाले पौधे लगाये जा रहे हैं । वनों के अन्तर्गत क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है।
19. भारत के प्राणी जगत और वनस्पति जगत पर निबन्ध लिखें।
उत्तर ⇒ यदि हम अपने चारों ओर देखें तो कुछ जानवर, पेड़-पौधे तथा अन्य प्रजातियाँ पायेंगे जो कि हमारे क्षेत्र में अद्वितीय हैं। वास्तव में भारत विश्व का एक ऐसा देश है जहाँ जैव विभिन्नताएँ धनी हैं और विश्व की 8% (अनुमानतः 1.6 मिलियन) प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह संख्या दुगुनी और तिगुनी भी हो सकती है यदि इनकी खोज की जाए । हमने भारत के वन और वन्य जीवन के प्रचार के बारे में अध्ययन कर लिया है । हमने यह स्वीकार किया होगा कि इन संसाधनों का कितना महत्व है। ये वनस्पति और प्राणी जगत हमारे जीवन में इतने अधिक अन्तर सम्बन्धित हैं कि हम इन पर निर्भर करते हैं, लेकिन ये भारी दबाव के अन्तर्गत हैं।
20. वनस्पति जगत और प्राणी जगत में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒
S.N. | वनस्पति जगत | प्राणी जगत |
1. | वनस्पति जगत में पौधे तथा वृक्ष सम्मिलित हैं। | प्राणी जगत में पृथ्वी के समस्त जानवर तथा जीव-जंतु सम्मिलित हैं। |
2. | वनस्पति अस्तित्व में सबसे पहलेआई। | वनस्पति जगत के बाद प्राणी जगत अस्तित्व में आया। |
3. | वनस्पति ही केवल सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को भोजन में बदल सकती हैं। | प्राणी जगत सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ऊर्जा को भोजन में बदल सकती को प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त नहीं कर सकता। वे वनस्पति जगत पर निर्भर करते हैं। |
21. भारत की राष्ट्रीय वन-नीति के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ भारत की राष्ट्रीय वन-नीति के अनुसार, देश के 33% भू-भाग पर वन का विस्तार होना चाहिए।
वन-नीति के मुख्य उद्देश्य हैं –
(i) पर्यावरण को संतुलित बनाना।
(ii) वन संपदा की सुरक्षा करना।
(iii) भूमि ह्रास को रोकना।
(iv) बाढ़ का नियंत्रण करना।
(v) मरुस्थलीकरण को रोकना।
(vi) लकड़ी आपूर्ति बनाए रखना।
(vii) जैव विविधता को बनाए रखना।
22. भारत में बाघ परियोजना क्षेत्रों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ बाघ एक दुर्लभ प्रजाति है। बाघ परियोजना को बड़ी सफलता मिली है। वर्तमान समय में 16 बाघ परियोजनाएँ चल रही हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बाघ परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं –
(i) हजारीबाग राष्ट्रीय उद्यान ( झारखण्ड )
(ii) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ( मध्य प्रदेश )
(iii) तादोवा राष्ट्रीय उद्यान ( महाराष्ट्र )
(iv) कार्बेट पार्क राष्ट्रीय उद्यान ( उत्तराखण्ड )
(v) संजय राष्ट्रीय उद्यान ( मध्य प्रदेश )
23. वन्य जीव संरक्षण के लिये कुछ उपाय लिखें।
उत्तर ⇒ वन्य जीव संरक्षण के लिए उपाय निम्नलिखित हैं –
(i) शिकार पर प्रतिबन्ध आवश्यक है।
(ii) पशुओं के झुंड के प्रवेश पर रोक ।
(iii) अधिक राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारण्य स्थापित किए जाएँ।
(iv) वन्य जीव बंदी प्रजनन किया जाए।
(v) सेमिनार, कार्यशाला आदि का आयोजन किया जाए।
(vi) पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ दी जाएँ।
(vii) प्रजनन के लिए उचित दशाएँ प्रदान की जाएँ।
24. वन हास के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ औद्योगिक क्रांति के बाद से बडे पैमाने पर वनों का ह्रास हो रहा है।
इससे उत्पन्न दुष्परिणाम निम्न है –
(i) कई जीव-जंतुओं की प्रजातियों का ह्रास।
(ii) वन उत्पादों की कमी।
(iii) चारा एवं लकड़ी की कमी।
(iv) पारिस्थिति की संकट।
(v) कई वनस्पतियों का विलुप्तीकरण।
(vi) सूखा एवं सुर्भिक्ष में बढ़ोतरी।
(vii) कई जीव-जंतुओं के आवासों में कमी।
(viii) कई जड़ी-बूटियों का खात्मा।
25. जैव-आरक्षित क्षेत्र क्या है ? कहाँ और कब प्रथम आरक्षित क्षेत्र शापित किया गया ? कोई दो नाम बताएँ।
उत्तर ⇒ जैवआरक्षित क्षेत्र भमि का विशाल क्षेत्र है जो प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए उपयोग में आता है। पहला जैव-आरक्षित क्षेत्र वर्ष 1986 में नीलगिरि जैव आरक्षित क्षेत्र स्थापित किया गया। यह 5500 वर्ग कि. मी. क्षेत्र को घेरे हए हैं। यह तीन राज्यों केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में फैला हुआ है।
दो जैव आरक्षित क्षेत्र हैं—
(i) नंदा देवी जैव आरक्षित क्षेत्र (उत्तराखण्ड) तथा
(ii) नोक्रेक (मेघालय)।
26. प्रोजेक्ट टाइगर (बाघ परियोजना) के बारे में लिखें।
उत्तर ⇒ प्रोजेक्ट टाइगर बाघ संरक्षण की दिशा में भारत में चलाई जा रहा परियोजना है जिसे विश्व की बेहतरीन वन्य जीव परियेजनाओं में गिना जाता है। 1973 से शुरू हुई इस परियोजना के द्वारा देश में बाघों की संख्या बढ़ने लगी। 1973 में बाघों की संख्या मात्र 1,827 थी जो 1989 तक बढ़कर 4,334 हो गई। भारत में 37,761 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर फैले हुए 27 बाघ रिजर्व हैं। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक संकटग्रस्त जाति के जीव को बचाने के प्रयास के साथ-साथ बहुत बड़े आकार की जैवजाति को बचाना भी है। अब इस परियोजना के द्वारा लोगों में बाघ संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष बाघों की घटती-बढ़ती संख्या से लोगों को अवगत कराया जाने लगा है।
27. भारत में वन्य प्राणी का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ भारत वनस्पति जगत की तरह प्राणी जगत में भी धनी है। भारतीय वन विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों जो हाथी से लेकर छोटे पक्षियों तक का घर है। भारत में 8000 पशुओं की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। देश में 1200 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 2500 प्रजातियाँ मछलियों की पाई जाती हैं जो विश्व का 12% है। यहाँ विश्व के 5 से 8% सर्प, स्तनधारी तथा जल एवं स्थलवासी प्राणी मिलते हैं।
हाथी मुख्यतः असाम, कर्नाटक और केरल में पाये जाते हैं। एक सींग वाला गैण्डा भी आसाम और पश्चिमी बंगाल में पाया जाता है। थार मरुस्थल जंगली गधों और ऊँट का आवास है।
शेर तथा बब्बर शेर भी भारत में पाये जाते हैं। भारतीय शेर गुजरात के गिर . वनों में पाया जाता है। शेर मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल में सुन्दर वन में पाया जाता है। हिमालय में पक्षी की श्रृंखला पाई जाती है। लद्दाख याक का आवास है।
28. संरक्षण की दृष्टि से भारतीय वनों के विभिन्न वनों के विभिन्न वर्गों का वितरण करें।
उत्तर ⇒ संरक्षण की दृष्टि से भारतीय वनों को तीन प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है –
(i) सुरक्षित वन – ऐसे वन सरकारी वन हैं जहाँ पशुचारण करना एवं खेती करना या लकड़ी काटना वर्जित होता है। देश में इस प्रकार के वन मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाड एवं पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं। देश के आधे से अधिक वन इस वर्ग में आते हैं।
(ii) संरझित वन – संरझित वन ऐसे सरकारी वन है जहाँ से सिफ्र लाइसेंस – प्राप्त व्यक्ति ही वन उत्पाद को प्राप्त कर सकता है। ऐसे वन बिहार, झारखण्ड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, गुजरात एवं पूर्वोत्तर राज्यों तथा अंडमान निकोबार में है।
(iii) अवर्गीकृत वन – इस प्रकार के वनों में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होता है। उपयोग करनेवाले को टैक्स देना पड़ता है।
1. ( घ ) खनिज संसाधन |
1. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒
(i) नई शोधों के द्वारा दुर्लभ खनिजों के स्थान पर प्रतिस्थापन खनिज की खोजने और विकसित करने की आवश्यकता है।
(ii) खनिज क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं को समुचित विकास किया जाए। देश के नए क्षेत्रों में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर खनिजों का अन्वेषण किया जाना चाहिए । संरक्षण नीति में पोषणीय खनन पर अत्यधिक बल दिया जाना चाहिए ।
(iii) ऐसी प्रौद्योगिकी एवं शोघ को विकसित किया जाए की खनिजों का अपव्यय को रोका जाए।
2. झारखंड के मुख्य लौह उत्पादक जिलों/केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर ⇒ सिंहभूम जिले के नोआमुंडी, गुवा क्षेत्रों इसके अलावे पलामू, हजारीबाग, संथाल परगना, धनबाद एवं राँची जिलों में मिलता है।
3. खनिजों का आर्थिक महत्व बतायें।
उत्तर ⇒ पृथ्वी पर जैसे जल और थल अति महत्वपूर्ण खजाने हैं ठीक उतने ही महत्वपूर्ण खनिज संसाधन भी हैं । खनिज संसाधन के अभाव में देश के औद्योगिक विकास को गति एवं दिशा नहीं दे सकते । फलत: देश का आर्थिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। विश्व के बहुत से देशों में खनिज सम्पदा राष्ट्रीय आय के प्रमुख स्रोत बने हुए हैं। खनिज ऐसे क्षयशील संसाधन है जिन्हें दोबारा नवीनीकृत नहीं किया जा सकता। अतः खनिजों के संरक्षण की परम आवश्यकता है।
4. पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है ?
उत्तर ⇒ पेट्रोलियम ताप प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनों का स्नेहक, अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है। तेलशोधनशालाएँ-संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक तथा असंख्य रसायन उद्योगों में एक कोणीय बिन्दु का काम करता है। इसकी उपयोग संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक तथा रसायन उद्योगों में होता है।
5. अभ्रक कहाँ मिलता है? इसका क्या उपयोग है ?
उत्तर ⇒ बिहार और झारखण्ड में उत्तम कोटि का रूवी अभ्रक का उत्पादन होता है। यह पश्चिम गया जिले से हजारीबाग, मुंगेर होते हुए पूर्व में भागलपुर तक फैला है। इसके अतिरिक्त धनबाद, पलाम, राँची एवं सिंहभूम जिलों में भी अभ्रक भण्डार मिले हैं। बिहार झारखण्ड भारत का 80% अभ्रक का उत्पादन करता है।
इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में होता है। प्राचीन काल से इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के लिए होता है। इसका उपयोग विधुत उपकरण बनाने में होता है। यह विद्युत रोधक एवं विद्यत शक्ति को सहन कर सकता है।
6. भारत के लौह इस्पात उद्योग का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ लौह एवं इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है। इस उद्योग की बनी मशीनरी पर हल्के, मध्यम और भारी उद्योग निर्भर करते हैं। आज देश का कोई भी घर ऐसा नहीं है जहाँ लोहे की बनी चीजें न हो। इसकी स्थापना कच्चामाल वाले क्षेत्र में किया जाता है। छोटानागपुर का पठार लौह तथा कोयले के भण्डारों के लिए विख्यात है जो लौह इस्पात उद्योग चलाने के लिए आवश्यक है। इसके प्रमुख कच्चामाल लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज, चूना-पत्थर इत्यादि हैं।
7. लौह अयस्क के प्रकारों के नामों को लिखिए।
उत्तर ⇒ लौह अयस्क चार प्रकार के होते हैं –
(i) हेमेटाइट – इसमें लोहे की मात्रा 50-70% पायी जाती है।
(ii) मैग्नेटाइट’- इसमें लोहे की मात्रा 72% पायी जाती हैं।
(iii) लिमोटाइट – इसमें 10 से 40% लोहे की मात्रा होती है।
(iv) सिडेराइट – इसमें लोहे की मात्रा 48% होती है।
8. मैंगनीज के उपयोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर ⇒ मैंगनीज का उपयोग मुख्य रूप से लौह-इस्पात उद्योग के अलावे शुष्क बैटरीयों के निर्माण, फोटोग्राफी, चमड़ा, ब्लीचिंग पाउडर, काँच, दवाएँ बिजली के समान में किया जाता है।
9. लौह एवं अलौह खनिजों में अंतर स्पष्ट करें ?
उत्तर ⇒
S.N. | लौह खनिज | अलौह खनिज |
1. | जिन खनिजों में लोहे का अंश पाया जाता है तथा उसका उपयोग लोहा एवं अन्य इस्पात बनाने में किया जाता है वे लौह खनिज खनिज कहलाते हैं, जैसे -लौह अयस्क, निकिल, टंगस्टन, मैंगनीज आदि । | जिन खनिजों में लोहे का अंश न्यून या बिल्कुल नहीं होता है वे अलौह खनिज कहलाते हैं,जैसे – सोना, सीसा, अभ्रक इत्यादि कहलाते हैं। |
2. | ये स्लेटी, घसर, मटमैला आदि रंग के होते हैं। | ये अनेक रंग के हो सकते है। |
3. | ये रवेदार चट्टानों में पाये जाते हैं। | ये सभी प्रकार के चट्टाना म मिल सकते हैं। |
10. खनिज क्या है?
उत्तर ⇒ खनिज के प्राकृतिक संसाधन वे हैं जो शैलों से प्राप्त हैं। दूसरे शब्दों में खनिज पदार्थ की परिभाषा इस प्रकार कर सकते हैं-खनिज पदार्थ भू-पर्पटी से प्राप्त ऐसे पदार्थ है जिनमें एक प्रकार की रासायनिक संरचना होता है।
11. धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या है ?
उत्तर ⇒ धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान इस प्रकार हैं –
(i) धात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त होता है।
(ii) ये कठोर एवं चमकीले होते हैं।
12. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर ⇒ देश में खनिजों के वितरण असमान है। खनिज समाप्त संसाधन है। अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम तथा कम गुणवत्ता वाले खनिज अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। खनिज एक बार उपयोग करने के बाद पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता है।
13. चूना-पत्थर की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर ⇒ चूना-पत्थर के उपयोग सीमेंट, लौह-इस्पात, रसायन का उपयोग, चीनी, कागज, उर्वरक आदि में उपयोग होता है।
. 14. लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर ⇒ कर्नाटक, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखण्ड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान आदि।
15. कार्बनिक खनिज किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ इस प्रकार के खनिज में जीवाश्म होता है। ये पृथ्वी में दबे प्राणी एवं पादप जीवों के परिवर्तित होने से बनते हैं।
जैसे-कोयला, पेट्रोलियम ।
16. अकार्बनिक खनिज किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ अकार्बनिक खनिज उसे कहा जाता है जिसमें जीवाश्म नहीं होता है जैसे-अभ्रक, ग्रेफाइट आदि ।
17. एल्युमिनियम के उपयोग का उल्लेख कीजिए। …
उत्तर ⇒ एल्युमिनियम उपयोग वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरण, बर्तन, घरेलू सामान, रासायनिक वस्तुएँ आदि।
18. ताँबे का क्या उपयोग है ? भारत में ताँबा कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर ⇒ ताँबा का उपयोग बिजली के तार बनाने में होता है इसके अलावे बर्तन आदि बनाने में इसका उपयोग होता है। भारत में 90% भंडार मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश में मिलता है।
19. खनिज की परिभाषा दें तथा इसका वर्गीकरण प्रस्तुत करें।
उत्तर ⇒ खनिज प्रकृति में स्वतः पाया जानेवाला अकार्बनिक पदार्थ है जिसकी भौतिक एवं रासायनिक संरचना निश्चित होती है। इसका आंतरिक परमाण्विक संगठन भी निश्चित होता है।
खनिज मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं –
(i) धात्विक खनिज – मैगनीज, ताँबा, कोबाल्ट
(ii) अधात्विक खनिज – कोयला, हीरा, अभ्रक
(iii) बहुमूल्य खनिज – सोना, प्लैटिनम, हीरा
(iv) रेडियोसक्रिय खनिज – यूरेनियम, थोरियम, जिरकोनियम।
20. खनन कार्य से होनेवाले दुष्प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ खनन जैसे उत्पादक कार्य से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, परंतु इस कार्य के कई दुष्प्रभाव भी हैं –
(i) खनन कार्य के कारण संबंधित क्षेत्र की कृषि तथा वन भूमि का ह्रास हो जाता है।
(ii) खनिजों के खनन से उनके खत्म होने की आशंका बढ़ जाती हैं।
(iii) खनन कार्य के दौरान कई बार दुर्घटनाएँ हो जाती हैं।
(iv) युरेनियम के खनन से रेडॉन नामक जहरीली गैस निकलती हैं। खदानों में धूल उड़ने पर सिलकोसिस नामक दमघोंटू बीमारी ही जाती है।
(vi) खनन कार्य से वायु एवं जल प्रदूषण होता है।
(vii) कई कोयला खानों में आग लगने से भी पर्यावरणीय दष्प्रभाव पड़ रहे हैं।
21. धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ जिन खनिजों में धातु प्रमुखता से पाए जाते है, उन्हें धात्विक खनिज कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है
(क) लोहयुक्त- ऐसे खनिजों में लोहे का अंश होता है, जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज, निकेल इत्यादि।
(ख) अलौहयुक्त- ऐसे खनिजों में लोहे का अंश काफी कम होता है, जैसे—टिन, सोना, चाँदी इत्यादि।
जिन खनिजों में धातु नहीं मिलते हैं, उन्हें अधात्विक खनिज कहा जाता है, जैसे-अभ्रक, कोयला आदि।
1. (ड.) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन |
1. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है ?
उत्तर ⇒ सूर्य के ताप से प्राप्त ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। कोरोवोल्टाइक प्रौद्योगिक द्वारा बिना टरबाइन आदि के सूर्य प्रकाश को सीधे विधुत में बदलती है।
2. पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है ?
उत्तर ⇒ गैसोलीन, डीजन, किरासन तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, साबुन, कृत्रिम रेशा और प्लास्टिक ।
3. पेट्रोलियम का महत्व कोयले से अधिक क्यों है ?
उत्तर ⇒ पेट्रोलियम ताप प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनों का स्नेहक; अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदन करता है। तेलशोधनशालाएँ-संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक तथा असंख्य रसायन, उद्योगों में एक कोणीय बिन्दु का काम करता है। इसकी उपयोग संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक तथा रसायन उद्योगों में होता है। जबकि कोयला, ईंधन तथा विद्युत के रूप में ही उपयोग होता है।
4. परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होता है ?
उत्तर ⇒ परमाणु शक्ति निम्न खनिजों से प्राप्त होता है—यरेनियम थोरियम ग्रेफाइट, इल्मेनाइट, एंटीमनी; ग्रेफाइट आदि।
5. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिये। अथवा, कोयले के चार प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ कोयला चार प्रकार के होते हैं-
(i) ऐंथ्रासाइट, (ii) बिटुमिनस, (iii) लिग्नाइट एवं (iv) पीट कोयला।
6. नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय क्यों कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ नदी घाटी परियोजना जिससे एक ही समय में बहुत से उद्देश्य पूरे किए जा सकते हैं इसलिए इसे बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है जैसे-सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल, पर्यटन उद्योग आदि।
7. मुम्बई हाई तेल उत्पादक क्षेत्र का परिचय दें।
उत्तर ⇒ 1973 में बंबई (मुंबई) द्वीप के निकट अरब सागर में सागर तल का वेधन कर तेल निकाला गया । यह तेल क्षेत्र मुम्बई हाई के नाम से प्रसिद्ध है जो समुद्र तट से 115 किमी० की दूरी पर है। यहाँ ‘सागर सम्राट’ नामक जल मंच बनाया गया है, जिससे तेल की खुदाई में सुविधा मिलती है। यह महाराष्ट्र का एक मात्र तेल उत्पादक केन्द्र है। इसने 1974 से तेल उत्पादन शुरू किया। आज भारत के सर्वाधिक तेल उत्पादन क्षेत्र यहीं है।
8. ताप शक्ति क्यों समाप्य संसाधन है ?
उत्तर ⇒ ताप शक्ति उत्पादन करने के लिए कोयला, पेट्रोलियम, तथा प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है इनके संसाधन निकट भविष्य में समाप्त होने वाले हैं। इसलिए यह समाप्य संसाधन है इसका नवीनीकरण नहीं हो सकता है।
9. पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के तीन-तीन उदाहरण लिखिये।
उत्तर ⇒ पारम्परिक ऊर्जा स्रोत के तीन उदाहरण –
(i) कोयला (ii) पेट्रोलियम (iii) प्राकृतिक गैस
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत के तीन उदाहरण –
(i) सौर ऊर्जा (ii) पवन ऊर्जा (iii) बायो गैस एवं जैव ऊर्जा
10. निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाएँ किन-किन राज्यों में अवस्थित हैं-हीराकुण्ड, तुंगभद्रा एवं रिहन्द |
उत्तर ⇒ हीराकुंड परियोजना – उड़ीसा
तुंगभद्रा परियोजना – कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश
रिहन्द परियोजना – उत्तर प्रदेश।
11. गोंडवाना समह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर ⇒ गोंडवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम इस प्रकार हैं –
(i) दामोदर घाटी ( झारखण्ड, पश्चिम बंगाल )
(ii) सोन घाटी ( मध्य प्रदेश )
(iii) महानदी घाटी ( छत्तीसगढ़, उड़ीसा )
(iv) गोदावरी-वर्धा घाटी ( मध्य प्रदेश, महाराष्ट और आंध्र प्रदेश )
12. भारत में खनिज तेल के सबसे बड़े उत्पादक तीन राज्य के नाम लिखें ?
उत्तर ⇒ मुंबई हाई, असम, गुजरात ।
13. किन्ही चार तेलशोधक कारखाने का स्थान निदिष्ट काजिये ।
उत्तर ⇒ असम में डिग्बोई, बिहार में बरौनी, मुंबई में ट्राम्बे एवं गुजरात में कोयली।
14. भारत में प्रथम जल विधुत संयंत्र की स्थापना कहाँ हुई?
उत्तर ⇒ भारत में सन् 1897 में दार्जिलिंग में प्रथम जल विद्युत संयंत्र की स्थापना हुई।
15. भारत का प्रथम तेलशोधक कारखाना कब और कहाँ स्थापित हुआ ?
उत्तर ⇒ 1901 में भारत का प्रथम तेल शोधक कारखाना असम के डिग्बोई में स्थापित हुआ।
16. शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास कब से शुरू हुआ ?
उत्तर ⇒ शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के साथ शुरु हुआ ।
17. कोयले का सर्वोच्च कोटि कौन है ?
उत्तर ⇒ ऐंथासाइट सर्वोच्च कोटि का कोयला है जिसमें कार्बन की मात्रा 90% से अधिक होती है।
18. टर्शियरी भंडार किस राज्य में है ?
उत्तर ⇒ टर्शियरी भंडार मुख्यतः असम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय एवं नागालैण्ड में मिलता है।
19. गुजरात में खनिज तेल के मुख्य उत्पादक क्षेत्र कौन-कौन हैं ?
उत्तर ⇒ गुजरात में मुख्य तेल उत्पादक क्षेत्र अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांबा मेहसाना आदि हैं।
20. सागर सम्राट् क्या है ?
उत्तर ⇒ सागर सम्राट एक जलयान है जो समुद्र के भीतर अरब सागर में तेल के कुँए खोदने का कार्य करता है।
21. वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत किसे कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जल विधुत एवं आण्विक ऊर्जा स्रोतों को ‘वाणिज्य ऊर्जा स्रोत’ कहा जाता है।
22. पारम्परिक ऊर्जा के स्रोत कौन-कौन हैं ?
उत्तर ⇒ कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन जो जीवाश्म ईंधन के नाम से भी जाने जाते हैं, पारम्परिक ऊर्जा के संसाधन हैं।
23. गोंडवाना समूह में भारत का कितना प्रतिशत कोयला भंडार है एवं कब निर्माण हुआ?
उत्तर ⇒ गोंडवाना समूह में कुल उत्पादन का 99% भाग प्राप्त होता है। यहाँ के कोयले का निर्माण 20 करोड़ वर्ष पूर्व में हुआ था।
24. झारखण्ड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम अंकित कीजिए।
उत्तर ⇒ यहाँ झरिया, बोकारो, गिरीडीह, कर्णपुरा, रामगढ़ प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।
25. भारत के किन-किन क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए अनक परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर ⇒ भारत के सागर तटवर्ती एवं नदियों के किनारे के भाग विशेषकर राजस्थान, गजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु पवन ऊर्जा के लिए अनकल परिस्थितियाँ पायी जाती है।
26. जल विधुत उत्पादन के कौन-कौन से मुख्य कारक हैं ?
उत्तर ⇒ जल विधुत उत्पादन के निम्नलिखित कारक हैं-नदियों में प्रचुर मात्रा में जलराशि, नदीमार्ग में ढाल, जल का तीव्र वेग, प्राकृतिक जलप्रपात आदि मुख्य दशाएँ हैं।
27. ऊर्जा संरक्षण की प्रमुख विधियों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ ऊर्जा संरक्षण की प्रमुखं विधियाँ निम्नलिखित हैं –
(i) बिजली का आवश्यकतानुसार प्रयोग करना।
(ii) बिजली बल्ब की जगह LED बल्बों का प्रयोग करना।
(iii) सार्वजनिक वाहनों का अधिकाधिक उपयोग करना।
(iv) गैर-परम्परागत ऊर्जा साधनों का उपयोग बढ़ाना।
(v) ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की खोज एवं उपयोग पर बल देना।
(vi) ऊर्जा की कम खपत करनेवाले उत्पादों का निर्माण करना।
(vii) ऊर्जा संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक बनाना।
28. “भारत में जल विधुत शक्ति का महत्त्व अधिक है।” क्यों ?
उत्तर ⇒ उद्योगों के विकेंद्रीकरण तथा अन्य कई कारणों से देश में जलविधुत का बड़ा महत्त्व है।
इसके कई कारण हैं –
(i) उत्तम कोयले का भंडार सीमित होने के कारण उसके संरक्षणं की दृष्टि से जल विधुत का विकास जरूरी है।
(ii) जलविधुत का उत्पादन कोयले से सस्ता है।
(iii) कोयला सीमित क्षेत्र में उपलब्ध है जबकि जिली की माँग पूरे देश में है।
(iv) जलविधुत का वितरण अपेक्षाकृत अधिक दूर तक किया जाना संभव होता है।
(v) जल से विधुत उत्पादन के साथ-ही-साथ सिंचाई का काम भी किया जाता है।
(vi) पेट्रोलियम का उत्पादन एवं वितरण तुलनात्मक रूप से मँहगा है।
(vii) उद्योगों के विकेंद्रीकरण जलविधुत सस्ती पड़ती है।
(viii) घरेलू बिजली आपूर्ति का यह सशक्त माध्यम है।