1.(a) वे कौन से कारक हैं जो नई स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं ?
(b) लिंग-निर्धारण किसे कहते हैं ? लिंग-निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर⇒ (a) अनुकूलन, विभिन्नताएँ एवं उत्परिवर्तन ।
(b) संतितियों में नर एवं मादा का विभेद लिंग निर्धारण कहलाता है। लिंग निर्धारण में निम्नांकित आरेख के अनुरूप क्रियाएँ होती हैं।
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2. डार्विन के विकास मत की व्याख्या करें।
उत्तर⇒ डार्विन के जैव विकास सिद्धान्त को प्राकृतिक वरण कहते हैं। उन्होंने “प्राकृतिक चयन द्वारा जातियों का विकास’ नामक पुस्तक 1869 में लिखी।
यह निम्न तथ्यों पर आधारित है –
(i) जीवों में संतान उत्पत्ति की प्रचुर क्षमता ।
(ii) जीवन संघर्ष ।
(iii) प्राकृतिक वरण।
(iv) योग्यतम की उत्तरजीविता ।
(v) वातावरण के प्रति अनुकूलन ।
(vi) नई जातियों की उत्पत्ति ।
डार्विन ने बताया कि सभी जीवों में जनन की प्रचुर क्षमता होती है परन्तु जीवों की संख्या सीमित रहती है। इसका कारण है उनमें जीवन संघर्ष । यह संघर्ष वातावरणीय, अन्तरजातीय अथवा अन्तराजातीय होता है। जीवों में लाभदायक विभिन्नताएँ वंशागत होती हैं । योग्यतम लक्षणों वाले जीव स्वस्थ संतान उत्पन्न करके वंश चलाते हैं। प्रकृति योग्यतम जीवों का चयन करती है। इस प्रकार नई जातियों की उत्पत्ति होती है।
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3. मानव में बच्चे का लिंग-निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर⇒ मानवों में लिंग का निर्धारण विशेष लिंग गुणसूत्रों के आधार पर होता है। नर में XY गुणसूत्र होते हैं और मादा में XX गुणसूत्र विद्यमान होते हैं। इससे स्पष्ट है कि मादा के पास Y गुणसूत्र होता ही नहीं है। जब नर-मादा के संयोग से संतान उत्पन्न होती है तो मादा किसी भी अवस्था में नर शिशु को उत्प0 करने में समर्थ हो ही नहीं सकती क्योंकि नर शिशु में XY गुणसूत्र होने चाहिए ।
निषेचन क्रिया में यदि पुरुष का X लिंग गुणसूत्र स्त्री के X लिंग गुणसूत्र से मिलता है तो इससे XX जोड़ा बनेगा। अतः संतान लड़की के रूप में होगी लेकिन जब पुरुष का Y लिंग गुणसूत्र स्त्री के X लिंग गुणसूत्र से मिलकर निषेचन करेगा तो XY बनेगा । इससे लड़के का जन्म होगा। किसी भी परिवार में लड़के या लड़की जन्म पुरुष के गुणसूत्रों पर निर्भर करता है क्योंकि Y गुणसूत्र को तो केवल उसी के पास होता है
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4. यूकैरियोटिक गुणसूत्र की संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर⇒ यूकैरियोटिक गुणसूत्र की संरचना- गुणसूत्र में निम्न भाग होते हैं-
पेलीकिल, आधात्री, क्रोमेनोमेटा, क्रोमोमीयर्स, सेन्ट्रोमीयर तथा सैटेलाइड काय ।
(i) पेलिकिल – गुणसूत्र एक पतली झिल्ली द्वारा ढंका रहता है। इसको पेलिकल कहते हैं। पेलिकिल से घिरा हुआ जेली सदृश्य आधात्री होता है।
(ii) क्रोमैटिड्स या क्रोमोनेमैटा – आधात्री में क्रोमैटिन से बने दो तन्तु रूपी क्रोमैटिड्स सर्पिल रूप में पाए जाते हैं। क्रोमैटिड्स पर जीन्स पाये जाते हैं।
(iii) क्रोमोमीयर्स – क्रोमैट्डिस पर न्यूक्लिक अम्लों से बने अनेक उभार क्रोमोमीयर्स पाए जाते हैं।
(iv) गुणसूत्र बिन्दु अथवा सेन्ट्रोमीयर – गुणसूत्र के दोनों क्रोमैटिड्स सेन्ट्रोमीयर पर परस्पर जुड़े रहते हैं। यह स्थान प्राथमिक संकीर्णन है। जब सेन्ट्रोमीयर नहीं होता तो गुणसूत्र को अकेन्द्री कहते हैं। सेन्ट्रोमीयर के
आधार पर गुणसूत्र अन्त:केन्द्रकी या टीलोसेन्ट्रिक, अग्रबिन्दुक उपमध्यकेन्द्री तथा मध्य केन्द्री प्रकार के होते हैं।
(v) सैटेलाइट काय – कुछ गुणसूत्रों पर द्वितीयक संकीर्णन के कारण गुणसूत्र का एक भाग अलग-सा दिखाई देता है। इसे सैटेलाइट बॉडी कहा जाता है।
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5. मेंडल के द्वारा मटर के पौधों पर किए गए प्रय का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर⇒ मेंडल ने मटर के पौधे के विभिन्न विकल्पी लक्षणों का अध्ययन किया था। उन्होंने उनके बाहरी लक्षणों की ओर विशेष ध्यान दिया था। गोल/झुरींदार बीज, लंबे/बौने पौधे, सफेद/बैंगनी फूल आदि विभिन्न विकल्पी लक्षणों वाले पौधों का चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। उन्होंने लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण कराकर प्राप्त संतति पीढ़ी में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की।
प्रथम संतति अथवा F1 में कोई पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। इसका अर्थ था कि पहली पीढ़ी में दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई देता है। उन दोनों का मिश्रित प्रभाव दिखाई नहीं देता। मेंडल ने अपने प्रयोगों में दोनों प्रकार के पैतृक पौधों एवं F1 पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण द्वारा उगाया। पैतृक पीढ़ी के लंबे पौधों से प्राप्त सभी संतति भी लंबे पौधों की थी। पर F1पीढ़ी के लंबे पौधों की दूसरी पीढ़ी अर्थात् F2 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे नहीं थे।
चित्र – दो पीढ़ियों तक लक्षणों की वंशानुगति
उनमें से एक-चौथाई संतति बौने पौधे थे। इससे संकेत मिला कि F1 पौधों द्वारा लंबाई एवं बौनेपन दोनों के विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई। केवल लंबाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया। इसलिए, किसी भी लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण के दो विकल्प की वंशानुगति होते हैं।
“TT” एवं ‘Tt’ दोनों ही लंबे पौधे हैं, लेकिन ‘tt’ बौने पौधे हैं। “T” एक अकेला किया विकल्प ही पौधे को लंबा बनाने के लिए पर्याप्त है, जबकि बौनेपन के लिए ‘t’ के दोनों विकल्प ‘t’ ही होने चाहिए। ‘T’ जैसे विकल्प प्रभावी लक्षण कहलाती हैं जबकि जो पौधों लक्षण ‘t’ की तरह व्यवहार करते हैं, अप्रभावी कहलाते हैं।
यदि गोल बीज वाले लंबे पौधों का झुरींदार बीजों वाले बौने पौधों से संकरण हटाया जाए तो F1 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे एवं गोल बीज वाले होंगे। इसलिए लंबाई पौधे तथा गोल बीज ‘प्रभावी’ लक्षण हैं। परंतु जब F, संतति के स्वपरागण से F1 पीढ़ी नक्षण की संतति प्राप्त होती हैं। पहले प्रयोग के आधार पर F2 संतति के कुछ पौधे गोल बीज वाले लंबे पौधे होंगे तथा कुछ झुरींदार बीज वाले बौने पौधे । परंतु F2 की संतति के कुछ पौधे नए संयोजन प्रदर्शित करेंगे। उनमें से कुछ पौधे लंबे पर झुरींदार तथा कुछ पौधे बौने पर गोल बीज वाले होंगे। इसलिए लंबे/बौने लक्षण तथा गोल/झुर्रादार लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
Science question 10th class 2023 Bihar board
6. सेन्ट्रोमीयर के आधार पर गुणसूत्रों के कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर⇒ गुणसूत्र बिन्दु के आधार पर ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
(i) शिखरस्थ या अंग्न बिन्दुक – ये शलाकाकार होते हैं। इनका गुणसूत्र बिन्दु सिरे के समीप होता है। सेन्ट्रोमीयर गुण-सूत्र के सिरे पर स्थित होता है। इन गुणसूत्रों में एक बड़ी एवं एक बहुत छोटी भुजा होती है।
(ii) अन्तःकेन्द्रकी – ये भी शलाकाकार होते हैं। इनमें केवल एक ही भुजा होती है क्योंकि सेन्ट्रोमीयर सिरे पर स्थित होता है।
चित्र :- गुणसूत्र बिन्दु के आधार पर गुणसूत्र के प्रकार
(अग्रबिन्दुक, अन्त:केन्द्रकी, मध्य केन्द्री तथा उपमध्य केन्द्री)
(iii) अकेन्द्री गुणसूत्र इनमें सेन्ट्रोमीयर का अभाव होता है।
(iv) मध्यकेन्द्री गुणसूत्र सेन्ट्रोमीयर गुणसूत्र के मध्य में स्थित होता है।
(v) उपमध्य केन्द्री गुणसूत्र सेन्ट्रोमीयर के मध्य से कुछ आगे होता है।
Class 10th Science ( विज्ञान ) Subjective Question 2023
Science Subjective Question | |
S.N | Class 10th Physics (भौतिक) Question 2023 |
1. | प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन |
2. | मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार |
3. | विधुत धारा |
4. | विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव |
5. | ऊर्जा के स्रोत |
S.N | Class 10th Chemistry (रसायनशास्त्र) Question 2023 |
1. | रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण |
2. | अम्ल क्षार एवं लवण |
3. | धातु एवं अधातु |
4. | कार्बन और उसके यौगिक |
5. | तत्वों का वर्गीकरण |
S.N | Class 10th Biology (जीव विज्ञान) Question 2023 |
1. | जैव प्रक्रम |
2. | नियंत्रण एवं समन्वय |
3. | जीव जनन कैसे करते हैं |
4. | अनुवांशिकता एवं जैव विकास |
5. | हमारा पर्यावरण |
6. | प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन |